इस पोस्ट में हमलोग कक्षा 10 विज्ञान के पाठ उत्सर्जन (Utsarjan class 10th science notes) के प्रत्येक टॉपिक के व्याख्या को पढ़ेंगे।
4. उत्सर्जन
उत्सर्जन- जीवों के शरीर से उपापचयी क्रियाओं के फलस्वरूप उत्पन्न अपशिष्ट पदार्थों का शरीर से बाहर निकलना उत्सर्जन कहलाता है।
जल संतुलन- शरीर में जल की मात्रा का संतुलन जल संतुलन कहलाता है।
उत्सर्जी पदार्थ- जंतुओं के शरीर में बननेवाला ऐसे पदार्थ जो हानिकारक होते हैं, उसे उत्सर्जी पदार्थ कहते हैं। जैसे अमोनिया, यूरिया या यूरिक अम्ल आदि।
जंतुओं में उत्सर्जन
उत्सर्जी अंग- वैसा अंग जो शरीर से अपशिष्ट पदार्थ (खराब पदार्थ) बाहर निकालते हैं, उसे उत्सर्जी अंग कहते हैं। जैसे- फेफड़ा बलगम का उत्सर्जन करता था तथा वृक्क यूरिया का उत्सर्जन करता है।
अमीबा में उत्सर्जन विसरण विधि द्वारा होता है।
मनुष्य में उत्सर्जन- मनुष्य एवं समस्त वर्टिब्रेटा उपसंघ के जंतुओं में वृक्क सबसे महत्वपूर्ण उत्सर्जी अंग है।
वृक्क से संबंद्ध अन्य रचनाएँ जो उत्सर्जन में भाग लेती हैं, वे हैं मूत्रवाहिनी, मूत्राशय तथा मूत्रमार्ग।
मनुष्य में एक जोड़ा वृक्क होता है, जो सेम के बीज के आकार का होता है।
प्रत्येक वृक्क का भार 140 हउ होता है।
प्रत्येक वृक्क से लगभग 1,30,000 सूक्ष्म नलिकाएँ (Micro tubules) होती है जिन्हें वृक्कक या नेफ्रॉन (Nephron) कहते हैं। नेफ्रॉन वृक्क की कार्यात्मक इकाई (Functional Unit of Kidney) होती है। नेफ्रॉन को उत्सर्जन इकाई भी कहा जाता है।
वृक्क रक्त के शुद्धिकरण का कार्य करता है।
वृक्क के बाहरी भाग को प्रातंस्थ भाग या कार्टेक्स जबकि आंतरिक भाग को अंतस्थ भाग या मेडुला कहते हैं।
नेफ्रॉन की संचरना
वृक्क की इकाई को नेफ्रॉन कहते हैं। प्रत्येक वृक्क में 10 लाख नेफ्रॉन होते हैं। प्रत्येक नेफ्रॉन के शुरू वाले हिस्से पर प्याले जैसी रचना होती है, जिसे बोमैन-संपुट कहते हैं।
वृक्क के कार्य- वृक्क के निम्नलिखित महत्वपूर्ण कार्य हैं-
(a) वृक्क स्तनधारियों एवं अन्य कशेरुकी जन्तुओं में उपापचय क्रिया के फलस्वरूप उत्पन्न विभिन्न अपशिष्ट पदार्थों को मूत्र के रूप में शरीर से बाहर निकालता है।
(b) यह रक्त में हाइड्रोजन आयन सांद्रता (pH) का नियंत्रण करता है।
(c) यह रक्त के परासरणी दाब तथा उसकी मात्रा का नियंत्रण करता है।
(d) यह रुधिर तथा ऊतक द्रव्य में जल एवं लवणों की मात्रा को निश्चित कर रुधिर दाब बनाए रखता है।
(e) रुधिर के विभिन्न पदार्थों का वर्णात्मक उत्सर्जन कर वृक्क शरीर की रासायनिक अखण्डता बनाने में सहायक होता है।
(f) शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने की अवस्था में विशेष एन्जाइम के स्रवण से वृक्क एरिथ्रोपोइटिन (Erythropoietin) नामक हार्मोन द्वारा लाल रुधिराणुओं के तेजी से बनने में सहायक होता है।
(g) यह कुछ पोषक तत्त्वों के अधिशेष भाग जैसे शर्करा, ऐमीनो अम्ल आदि का निष्कासन करता है।
(h) यह बाहरी पदार्थों जैसे दवाइयाँ, विष इत्यादि जिनका शरीर में कोई प्रयोजन नहीं होता है, उनका निष्कासन करता है।
(i) शरीर में परासरण नियंत्रण (Osmoregulation) द्वारा वृक्क जल की निश्चित मात्रा को बनाए रखता है।
Utsarjan class 10th science notes
वृक्क का कार्य- वृक्क द्वारा मूत्र-निर्माण या उत्सर्जन की क्रिया निम्नलिखित तीन चरणों में पूर्ण होती है।
1. ग्लोमेरूलर फिल्ट्रेशन
2. ट्यूबुलर पुनरवशोषण
3. ट्यूबुलर स्त्रवण
1. ग्लोमेरूलर फिल्ट्रेशन- ग्लोमेरूलर एक छन्ना की तरह कार्य करता है। रक्त के साथ यूरिया, यूरिक अम्ल, जल, ग्लूकोज, लवण, प्रोटीन इत्यादि ग्लोमेरूलर में छनते हैं।
2. ट्यूबुलर पुनरवशोषण- यह उन पदार्थों को शोषित कर लेती हैं जिनकी आवश्यकता होती है तथा जिन पदार्थों की आवश्यकता नहीं होती है उन्हें छोड़ देती है।
3. ट्यूबुलर स्त्रवण- पुनरावशोषण के पश्चात् कभी-कभी नलिका की कोशिकाओं से कुछ उत्सर्जी पदार्थ स्रावित होते हैं जो फिल्ट्रेट में मिल जाते हैं। इसे ट्यूबुलर स्रवण कहते हैं।
इस फिल्ट्रेट को ब्लाडर-मूत्र कहते हैं। यह मूत्र-नलिका से होकर गुजरता है तथा मूत्राशय में जमा होता है एवं समय-समय पर मूत्रमार्ग के छिद्र द्वारा बाहर निकाल दिया जाता है।
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मूत्र की बनावट- मूत्र का निर्माण वृक्क करता है। इसमें 96जल, 2यूरिया और 2अन्य पदार्थ होते हैं। मूत्र का पिला रंग यूरोक्रोम के कारण होता है।
हिमोडायलिसिस- डायलिसिस मशीन से रक्त के शुद्धिकरण की प्रक्रिया हिमोडायलिसिस कहलाती है।
पादप में उत्सर्जन
पौधों में उत्सर्जन के लिए विशिष्ट अंग नहीं होते हैं। पौधों में कार्बन डाइऑक्साइड गैस और ऑक्सीजन का निष्कासन विसरण विधि द्वारा होता है।
- पौधे में उत्सर्जन पित्तयों के गिरने और छाल के विलगाव से होता है।
- पौधों में पाए जानेवाले मुख्य उत्सर्जी पदार्थों में टैनिन, रेजिन एवं गोंद हैं।
- प्रोटोजोआ अवशिष्ट पदार्थों का निष्कासन विसरण द्वारा करता है।
- कृत्रिम वृक्क नाइट्रोजन अपशिष्ट को अपोहन द्वारा पृथक करता है।
- मानव में नेफ्रॉन डायलिसिस थैली है।
- नेफ्रॉन वृक्क की रचनात्मक और क्रियात्मक इकाई है।
- मानव का प्रमुख उत्सर्जी अंग वृक्क है।
- सजीव जीवधारियों द्वारा अमोनिया, यूरिक अम्ल और यूरिया जैसे नाइट्रोजनी पदार्थ (कचरा) का उत्सर्जन होता है।
- मनुष्य में वृक्क उत्सर्जन से संबंधित है।
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