इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 9 हिंदी के पाठ सात ‘टॉल्सटाय के घर में’ (Tolstoy Ke Ghar Mein class 9 Hindi) के सारांश और व्याख्या को पढ़ेंगे।
पाठ – 7
टॉल्सटाय के घर में
रामकुमार
जन्म :- 1924 में शिमला में हुआ था।
शिक्षा :- इनकी प्रारंभिक शिक्षा शिमला में ही हुई। सेंट स्टीफेंस कॉलेज, दिल्ली से अर्थशास्त्र में उन्होंने एम .ए . किया। इसी दौरान उन्होंने प्रख्यात चित्रकार शैलोज मुखर्जी (शारदा वकील स्कूल ऑफ आर्ट) चित्रकला का शिक्षा ली अपने चित्रकला की शिक्षा को विस्तार देने के लिए 1949 में पेरिस गए और 1952 तक वहाँ रहे।
विशेष :- रामकुमार को 1972 में पद्मश्री सम्मान और 1950 में प्रतिष्ठित कालिदास सम्मान समेत अब तक उन्हें अनेक सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।
रामकुमार की कृतियों के नाम है :- उपन्यास :- ‘घर बने घर टूटे’, ‘देर सवेर’
कहानी संग्रह :- ‘ हुस्न बीबी ‘, तथा अन्य कहानियाँ,’ एक चेहरा ‘, ‘ समुन्द्र ‘, ‘ एक लम्बा रास्ता ‘, ‘ मेरी प्रिय कहानियाँ’, ‘दिमक तथा अन्य कहानियाँ’, ‘ झींगुरो का स्वर ‘ आदि :
रिपोर्ताज :- ‘ यूरोप के स्केच ‘
अनुवाद :- ‘ वार्ड नंबर छः ‘ (चेखव के बहुचर्चित लघु उपन्यास का हिंदी अनुवाद) ‘अपनी छाया ‘ (ऑस्कर वाडॉल्स के उपन्यास ‘द पिक्चर ऑफ डेरियन ग्रे ‘ का हिंदी अनुवाद )
पाठ –7
टॉल्सटाय के घर में
प्रस्तुत पाठ ‘ टॉलस्टॉय के घर में ‘ एक रिपोर्टार्ज है। जो प्रसिद्ध पुस्तक ‘ यूरोप के स्केच ‘ से लिया गया है। इस रिपोर्टार्ज के लेखक रामकुमार है। इस पाठ के माध्यम से लेखक यात्रा का वर्णन के बारे में व्याख्या किए हैं। लेखक ने पेरिस के अतिरिक्त जिन देशों की यात्राएं की है। साथ ही लेखक ने इसमें टॉलस्टॉय के जीवन की अविस्मरणीय यादो की झांकी प्रस्तुत की है। लेखक के लिए टॉलस्टॉय के घर की यात्रा तीर्थ यात्रा की तरह है।
‘टॉलस्टॉय के घर में’ चित्रकार और लेखक रामकुमार द्वारा रचित रिपोतार्ज है लेखक मॉस्को से सुबह का नाश्ता करके टॉलस्टॉय के घर गाड़ी से चलते हैं। उसके साथ उसके रुसी मित्र युरा भी है।उसे टॉल्सटाय के दो प्रसिद्ध उपन्यास “आना करिनीना” और “युद्ध और शांति” पढ़ने के बाद इस स्थान के प्रति आकर्षण पैदा हुआ था। Tolstoy Ke Ghar Mein class 9 Hindi
कार तेजी से चल रही थी।उसके मित्र कार में बैठे बैठे हैं। सो रहे थे पर लेखक आसपास की चीजों को बड़े ध्यान से देख रहा था। उसके मन में टॉलस्टॉय के जन्म स्थान को उत्सुकता थी।
दो घंटे तक मकान में घूमने के बाद वे टॉलस्टॉय की समाधि पर जाते हैं। वहाँ मौन रखने का नियम है।समाधि टॉलस्टॉय की इच्छा के मुताबिक साधारण तरीके से बनी है।
लेखक को इस यात्रा से तीर्थ यात्रा का पवित्र भाव आता है। जैसा कि उसे पांच वर्ष पूर्व फ्रांस में रोमा – रोललां का घर देखने पर हुआ था। यात्रा के अंत में वह अपने को उत्साहित होता महसूस करता है।
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