इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 8 हिंदी के पाठ सात ‘ठेस’ (Thes Kahani class 8th Hindi) के सारांश और व्याख्या को पढ़ेंगे। जिसके लेखक फणिश्वर नाथ रेणु है।
7. ठेस
प्रस्तुत कहानी ठेस जाने माने लेखक फणिश्वर नाथ रेणु द्वारा लिखा गया है। इस कहानी के प्रमुख पात्र सिरचन नामक व्यक्ति है इसी के स्वभाव के बारे में इस कहानी के माध्यम से लेखक बताते हैं कि सिरचन जीभ के चटोर के साथ-साथ कामचोर भी है। लेकिन मोथी-बाँस और पटेर की रंगीन शीतलपाटी बाँस कि तीलियों की झिलमिलाती चीक सतरंगे डोर के मोढ़े और रस्सी के जाले तथा पत्तों के छतरी टोपी बनाने में दक्ष था। वह स्वभिमान, विचारवान् तथा स्पष्टवादी स्वभाव का व्यक्ति था। वह अपना अपमान सहन करना नहीं जानता था। उससे कोई कुछ बोल देता था तो वह काम करना बंद कर देता लेकिन सामाजिक मान मरयादा का ज्ञान अच्छा था।
सिरचन को लोग कामचोर समझते हैं इसलिए लोग उसे जल्दी काम के लिए नहीं बुलाते हैं। सिरचन हमेशा से ऐसा नहीं था। एक समय था जब सिरचन अपनी कालाकारी के बहुत अधिक प्रसिद्ध था। बड़े-बड़े लोग उसके कालाकरी के चलते उसका बहुत सम्मान करते थें। सिरचन बाँस की तिलीयों से चीके पटेरो से शीतलपाटियाँ सतरंगे डोर के मोढ़े भूसा चुन्नी के झोले सुखे पत्तों की छतरी टोपी तथा ऐसा हीं बहुत सी चीजें बनाता था। लेकिन अब लोग सिरचन को बेकार के आदमी समझते हैं। लेकिन सिरचन एक ऐसा आदमी था। जो कुछ भी कहिए या रूखा-सुखा कुछ भी खाने को कहिए पर प्रेम से कहने से खा लेता था। पर उसके साथ व्यवहार ठिक रहे नियत ठिक रहे। नहीं तो वह पुरा मुँह फट है इधर जवाब सुनने वाला तिलमिला जाए और उधर सिरचन कार्य बीच में हीं छोड़कर चल देता तथा यह बोल के की करा लो काम जिससे चाहो उससे, हमसे नहीं होगी। Thes Kahani class 8th Hindi
एक दीन की बात है लेखक की माँ सिरचन को बुलाने के लिए भेजती है लेखक की बहन मानू की बिदाई होने वाली रहती है और उसके ससुराल से तीन जोड़े फैशनेबल चीक और पटेर की दो शितल पाटियों को लाने के लिए ससुराल वाले बोले थे। इसलिए लेखक की माँ सिरचन को बुलाकर कहती है कि इस बार ठिक से सामान बना दो। बना देने के बाद मैं तुमको बहुत अच्छी मोहर छाप वाली नई धोती दूँगी। सिरचन शितलपाटियाँ आदि बनाने लगता है पर लेखक की मझली भाभी सिरचन को खाने के लिए सुखा चूड़ा और गुड़ देती है तभी वह कुछ नहीं कहता है पर मझली भाभी बहुत खराब होती है वह सिरचन को किसी भी बात में मजाक बना देती है जिससे वह आधा अधुरा ही काम करके छोड़ देता है इससे मानू बहुत दुःखी होती है पर वह उसी आधी शितलपाटियों को संभाल के रख लेती है। अपना ससुराल ले जाने के लिए।
जब मानू स्टेशन पर गाड़ी पकड़ने जाती है वह गाड़ी में बैठ गई होती है तो सिरचन वहाँ सही सामान यानी शितलपाटियाँ आदि बाँध के एक मोटरी में वहाँ लेकर जाता है। और मानू को देता है। जिससे वह बहुत खुश होती है तथा वह खुश होकर अपने ससुराल चली जाती है।
Thes Kahani class 8th Hindi
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