इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 8 हिंदी के पाठ तेईस ‘राह भटके हिरन के बच्चे को’ (Rah Bhatke Hiran Ke Bache class 8 Hindi) के अर्थ को पढ़ेंगे।
23 राह भटके हिरन के बच्चे को
प्रस्तुत पाठ ‘राह भटके हिरन के बच्चे को’ एक कविता है। जिसके रचईता डा॰नि॰ (वियतनाम) जी है। इस कविता में कवि राह भटके हिरन के बारे में बताते है। कि वह कैसे अपने रास्ते से भटके जाता है।
जाड़े की रात पहाड़ पर रो रहा है एक हिरन
खेल में मदमस्त भटक गया है वह राह
प्रस्तुत पंक्तियाँ डा॰नि॰ के द्वारा लिखित कविता ‘राह भटके हिरन के बच्चे को ‘से लिया गया है।
इस में कवि कहते है। कि जाड़े की रात थी पहाड़ पर एक हिरन रहता था एक दिन वह अचानक खेलने के मस्ती में अपने रास्ते से भटक जाता है।
वह नन्हा हिरन
उसके लिए बहुत दुखी हुँ मैं
उसकी दो खुली आँखो में
वेदना है कितनी।
प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि डा॰-नि॰ (वियतनाम) के द्वारा लिखित कविता ‘राह भटके हिरन के बच्चे को ‘शीर्षक पाठ से लिया गया है। कवि कहते हैं मैं वहा छोटा सा हिरन के बहुत दु :खी हुँ उसके दोनों कोमल -कोमल आँखों में कितना पीड़ा हो रही होगी। वह भटक जाने के कारण कितना दुःखी होगा। Rah Bhatke Hiran Ke Bache class 8 Hindi
हिरन के छौने रे ,हिरन के छौने
रोमत ,सो जा आराम से
जरूर मिलेगी तेरी माँ तुझे।
सो जा ,सो जा।
प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि डा॰-नि॰ (वियतनाम) के द्वारा लिखित कविता ‘राह भटके हिरन के बच्चे को’ शीर्षक कविता से लिया गया है। कवि हिरन के बच्चे को प्यार से बोलते है। कि तुम मत रोओं प्यार से उसे सो जाने के लिए बोलते है। वह उसे कहते है। कि तुम्हारी माँ मिल जाए गी। सो जाओं।
बाँस के वन, पाइन ऑक के वन रात की हवा
तुझे लोरी सुना रहे हैं। डर मत, बेहिचक सो जा
प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि डा॰-नि॰ (वियतनाम) के द्वारा लिखित कविता ‘राह भटके हिरन के बच्चे को’ शीर्षक कविता से लिया गया है।
इन पंक्ति के माध्यम से कवि हिरन के बच्चे को समझते है। कि सो जाओं तुम बाँस तथा पाइन के वन से जो हवा आ रही वह तुमको लोरी सुना रही डरों आराम से सो जाओं। Rah Bhatke Hiran Ke Bache class 8 Hindi
अकाश में हैं तारे भरे नीचे झरे
कितने नरम हैं हिरन के छौने, सो जा!
प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि डा॰-नि॰ (वियतनाम) के द्वारा लिखित कविता ‘राह भटके हिरन के बच्चे को’ शीर्षक कविता से लिया गया है।
इन पंक्ति के माध्यम से कवि भूलाए हुए हिरन के बच्चें को समझाते हुए कहते है। तुम क्यों डरते हो तुम अकेला नहीं हो तुम्हारे साथ आकाश के तारे है। झरना और नरम-नरम पत्ते है। तुम चिंता मत करों तुम्हारी खोई माँ तुझे जरूर मिल जाएँगी। पर अभी भी तुम्हारे साथ हम सब लोंग है।
सो जा सुबह तक सूरज उगेगा
उसकी सुनहरी किरणें छुएँगी
जंगल के पत्तों को मिल जायेगी
तुझे तेरी माँ रो मत, मत रो नन्हे हिरन
प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि डा॰-नि॰ (वियतनाम) के द्वारा लिखित कविता ‘राह भटके हिरन के बच्चे को’ शीर्षक कविता से लिया गया है।
इस पंक्ति के माध्यम से कवि हिरन को नन्हे से बच्चें को किसी तरह सुलाना चाहते है। वह कहते है कि हे हिरण के बच्चें तुम सो जाओं सुबह में सूरज के किरण निकलेगा तो चारों तरफ प्रकाश-ही प्रकाश हो जाएँगा। उसी प्रकाश के साथ तेरी माँ मिल जाएँगी तुम मत रोओं प्यारे से हिरण।
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