इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 9 हिंदी पद्य भाग के पाठ चार ‘पलक पाँवड़े’ (Palak Panware class 9 Hindi) के अर्थ को पढ़ेंगे। जिसके लेखक हरिऔध जी है।
पाठ –16
पलक पाँवडे
श्लोक –1
आज क्यों भोर हैं बहुत भाता ।
क्यों खिली आसमान की लाली ।।
किसलिए हैं निकल रहा सूरज ।
साथ रोली भरी लिए थाली ।।
भावार्थ :-
प्रस्तुत पंक्तियाँ अयोध्या सिंह उपाध्याय द्वारा लिखित कविता पलक पाँवडे से ली गई है। इसमें कवि ने प्रातः कालीन प्राकृतिक मनोहारी रूप को बहुत ही रोचक ढंग से वर्णन किया है।
कभी इस प्राकृतिक दृश्य के माध्यम से यह स्पष्ट करते हैं कि जिस प्रकार सूर्य के किरणों के पढ़ने बजे सारा संसार प्रकाशित हो जाता है। ठीक उसी प्रकार उस दिन उसकी प्रिय अर्थात ( कवि की पत्नी ) आ रही है। तो कवि को उस दिन सारा संसार तथा सारी वस्तुएँ बहुत ही मनभावन लग रही है। सूरज आसमान की लाली आदि से सब कुछ उन्हें बहुत ही रोचक लग रहे हैं ।
पाठ –16
श्लोक –2
इस तरह क्यों चहक उठी चिड़िया ।
सुन जिसे हैं बड़ी उमंग होती ।।
ओस आकर तमाम पतो पर ।
क्यों गई हैं बखेर मोति ।।
भावार्थ :-
प्रस्तुत पंक्तियाँ अयोध्या सिंह उपाध्याय द्वारा लिखित कविता पलक पाँवडे से ली गई हैं। इसमें कवि जब प्रातः काल में चिड़िया बोलती हैं। उसके बारे में वर्णन किये हैं।
चिड़िया तो रोज बोलती हैं पर उस दिन की चिड़िया की बोली हुई मधुर आवाज उन्हें बहुत ही रोचक लगता हैं। तथा जो ओस पेड़-पौधों आदि पर पड़े थे वह भी कवि को मोति की तरह सुन्दर लग रहे थे। कवि को उस दिन ये सब कुछ अलग ही महसूस इसलिए हो रहा था। क्योंकि उस दिन कवि के प्रिय आ रही थी। जिससे कवि बहुत ही उमंग में थे इसी उमंग के कारण कवि को ये सब रोचक लग रहा था। Palak Panware class 9 Hindi
पाठ –16
श्लोक –3
पेड़ क्यों हैं हरे-भरे इतने ।
किसलिए फूल हैं बहुत फुले ।।
इस तरह किसलिए खिली कालिया ।
भौर हैं किस उमंग में फुले ।।
क्यों हवा हैं संभल-संभल चलती ।
किसलिए हैं जहाँ-तहाँ थमती ।।
सब जगह एक-एक कोने में ।
क्यों महक हैं परसाती फिरती ।।
भावार्थ :-
प्रस्तुत पक्तियाँ अयोध्या सिंह उपाध्याय हरीऔद्य द्वारा लिखित कविता ‘पलक पाँवडे ‘ पाठ से ली गई हैं। इसमें कवि ने प्रकृत के व्यापक मनोहरी दृश्य का वर्णन किये हैं। कवि स्वयं से प्रश्न करके प्रकृत के दृश्य के बारे में कुछ जानना चाहते हैं।
इस पक्तियों के माध्यम से कवि कहते हैं की पेड़ क्यों हैं हरे – भरे इतने, किसलिए फूल हैं बहुत फुले। इसका अर्थ हैं जरूर कोई व्यवस्था में भारी परिवर्तन हुआ, जिसके कारण सारी प्रकृति खुशहाल नजर आ रही हैं। हवा भी संभल-संभल कर चल रही हैं। जिसके कारण सभी वतावरण बहुत ही मनोभावन प्रतीत हो रहे हैं।
श्लोक -4
लाल नीले सफ़ेद पतों में ।
भर गाए फूल बोली बहली क्यों ।।
झील तालाब और नदिया में ।
बिछ गई चादरे सुनहली क्यों ।।
किसलिए ठाठ बाट हैं ऐसा ।
जी जिसे देखकर नहीं भरता ।।
किसलिए एक-एक थल सजकर ।
स्वर्ग की हैं बराबरी करता ।।
भावार्थ :-
प्रस्तुत पंक्तियाँ अयोध्या सिंह उपाध्याय द्वारा लिखित कविता पलक पाँवडे से ली गई है। इसमें कवि ने प्रातः कालीन प्राकृतिक मनोहारी रूप को बहुत ही रोचक ढंग से वर्णन किए हैं।
इस पंक्तियों के माध्यम से कभी कहते हैं कि सुबह होते ही प्राकृतिक में अद्भुत परिवर्तन हो जाता है। लाल,नीले,सफेद, पत्ते फूलों से लग जाते हैं। सूर्य की लाल किरणे से नदी, झील तथा तालाब के जल सोने की चादर जैसे प्रतीत होते हैं। प्रकृति की ऐसी सुंदरता देखते रहने की इच्छा बनी रहती है। प्रकृति की यह सजावट स्वर्ग जैसी प्रतीत होती है। लेकिन कवि की जिज्ञासा बनी रहती है, कि प्रकृति में यह परिवर्तन क्यों होता है। उस दिन कभी अपने प्रिय के आने को लेकर इतना ज्यादा खुश रहते हैं, कि उनको उस दिन का हर वस्तु बदली-बदली से प्रतीत हो रही थी। तथा सभी वस्तुएँ उनको बहुत ही मनभावन लग रहा था।
श्लोक -5
किसलिए हैं चहल-पहल ऐसी ।
किसलिए धूमधाम दिखाई ।।
कौन-सी चाह आज दिन किसकी ।
आरती हैं उतारने आई ।।
देखते रह गई आँखे ।
क्या हुआ क्यों तुम्हे न पाते हैं ।।
आ अगर आज आ रहा हैं तू ।
हम पलक पाँवडे बिछाते ।।
भावार्थ :- प्रस्तुत पंक्ति अयोध्या सिंह उपाध्याय द्वारा लिखित कविता पलक पाँवडे से ली गई है। इसमें कवि ने प्रातः कालीन प्राकृतिक मनोहरी रूप को बहुत ही रोचक ढंग से वर्णन किए हैं।
कवि इस पंक्तियों के माध्यम से स्वयं से प्रश्न करते हैं। कि आज क्यों इतना चहल-पहल है,यह धूमधाम क्यों है, ऐसा क्या है, आज के दिन जिससे लग रहा है कि यह सब कुछ किसी की राह देख रही है। उनके स्वागत के लिए आरती की थाल के लिए खड़ी है। कवि तो खुद अपनी प्रिय की राह देख रहे होते हैं। इसी कारण उनको हर वस्तुएं ही किसी की राह देखते हुए प्रतीत हो रही है। वह कहते हैं, कि प्रिय तुम जल्दी आओ इस वक्त की प्रतीक्षा करते करते मेरी आँखें थक गई है। मैं तुम्हारे स्वागत के लिए पलक पाँवडे अर्थात (आँख की पलक में लगने वाला कुमकुम) बिखेर रखा हूँ। Palak Panware class 9 Hindi
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