इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 9 हिंदी पद्य भाग के पाठ दस ‘निम्मों की मौत पर’ (Nimmo ki maut par class 9th hindi) के अर्थ को पढ़ेंगे। जिसके लेखक विजय कुमार है।
निम्मों की मौत पर
पाठ – 10
लेखक परिचय
लेखक- विजय कुमार
जन्म :- विजय कुमार का जन्म नवंबर 1948 ई. में मुंबई में हुआ था।
शिक्षा :- इनकी शिक्षा दीक्षा मुंबई में ही हुई थी। उन्होंने एम. ए. (हिंदी) और पी. एच. डी. डिग्री मुंबई विश्वविद्यालय से प्राप्त की।
विशेष :- उनकी पहली कविता “दोपहर” 1969 ईस). में “धर्मयुग” में छपी और पहला कविता संग्रह ‘अदृश्य हो जाएगी,सूखी पत्तियां 1981 में प्रकाशित हुआ। उन्होंने रंगभेद के विरुद्ध लिखी गई अफ़्रीकी कविताओं का अनुवाद ‘अंधेरे में पानी का आवाज’ नाम से किया।
काव्यक्रितिया :- ‘अदृश्य हो जाएगी सूखी पत्तियाँ’ ‘चाहे जिस शक्ल से’ और रात- पाली।
विजय कुमार :- 1971 से 1975 तक ‘नवभारत टाइम्स’ (मुंबई) में उपसंपादक रहे।उन्होंने भारतीय औद्योगिक विकास बैंक (मुंबई) में हिंदी विभाग के प्रभारी के रूप में भी काम किया।
वह भीगी हुई चिड़िया की तरह
फुरफुराती थी
हम जानते थे
अँधेरे कोने में दुबक
एक सूखी रोटी
और तीन दिन पुराना साग
वह चोरों की तरह खाती रही कई बरस
भावार्थ :-
प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि “विजय कुमार” के द्वारा लिखित कविता ‘निम्मो की मौत पर’ से लिया गया है। इस कविता में कवि निम्मो नाम की एक नौकरानी के जीवन के बारे में बताते हैं।
इस पंक्तियों के माध्यम से कवि कहते हैं, कि निम्मो जैसी घरेलू नौकरानी किसी के घर में काम करती है। तो वह जिसके यहाँ कार्य करती है। उस घर के लोगों से बहुत डरती है। मालिक उस नौकर को थोड़ा भी भैलू नहीं देते हैं। इसी के जैसा निम्मो के साथ भी होता है। इसी कारण निम्मो सब किसी से छुपा कर सूखी रोटी और तीन दिन पुराना साग खाती रहती थी। तथा अपने उस दुख भरी जिंदगी को व्यतीत करती थी।
सालों साल उसने
चिट्ठी नहीं लिखी अम्मा को
टेलीफोन के पास
उसका फटकना निषिद्ध था
भावार्थ :-
प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि “विजय कुमार” के द्वारा लिखित कविता ‘निम्मो की मौत पर’ से लिया गया है। इस कविता में कवि निम्मो नाम की एक नौकरानी के जीवन के बारे में बताते हैं।
इस पंक्तियों के माध्यम से कवि यह वर्णन करते हैं। कि जो निम्मो नाम की नौकरानी थी। वह अपनी अम्मा को कितने-कितने साल बीत जाने पर भी वह जल्दी अपनी अम्मा के पास कोई संदेश नहीं भेजा सकती थी। तथा उसको मालिक के घर में टेलीफोन तक जाना माना था। वह इसके आसपास भी नहीं जा सकती थे। मालिक पूरा तरह से उसको अपने पाबंदी में रखते थे।
हमें मालूम था
लानतों, गाली, लात, घूँसों के बाद
लेटी हुई ठंढे फर्श पर
गए रात जब
उसकी आँखें मुँदती थीं
एक कंपन
पूरी धरती पर
पसर जाता था
उसकी थमी हुई हिचकियाँ
उसके पीहर तक
चली आती थीं
भावार्थ :-
प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि “विजय कुमार” के द्वारा लिखित कविता ‘निम्मो की मौत पर’ से लिया गया है। इस कविता में कवि निम्मो नाम की एक नौकरानी के जीवन के बारे में बताते हैं।
कवि का कहना है, कि महानगरीय लोग निर्मम तथा अमानवीय होते हैं। वह घरेलू नौकरों के साथ निर्ममता पूर्वक व्यवहार करते हैं।कवी निम्मो की दारुण – दशा का वर्णन करते हुए कहते है। कि गृह स्वामी उसके साथ क्रूरता पूर्ण व्यवहार करते थे उसे नीत्य – डॉट एवं गाली देने के साथ लात तथा घुस्सो के प्रहार भी करते थे। लाचार एवं विवश निम्मो जब विकल हो जब उठती थी। तो उसकी इस वीकलता से धरती भी काँप उठती थी। उसे वहाँ बहुत शासन के साथ रखा जाता था। वह वाह बहुत ही दु:ख भरी जिंदगी के साथ जीती थी। Nimmo ki maut par class 9th hindi
हर रोज
एक अनुपस्थित घाव
उसके शरीर के भीतर
कहीं रहा होगा
और शायद कुछ अनकही प्रार्थनाएँ नींद में
यह शरीर जो तीस बरस से
इस दुनिया में था
और तीस बरस
उसे रहना था यहाँ
पर एक दिन रेत की दीवार की तरह गिरी वह सहसा
उसके चले जाने में
कोई रहस्य नहीं था ।
भावार्थ :-
प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि “विजय कुमार” के द्वारा लिखित कविता ‘निम्मो की मौत पर’ से लिया गया है। इस कविता में कवि निम्मो नाम की एक नौकरानी के जीवन के बारे में बताते हैं।
इस पंक्ति के माध्यम से कवि यह कहते हैं कि निम्मो जो नौकरानी थी। वह गृहस्वामी के स्वभाव से परेशान हो गई थी। वह मन ही मन ईश्वर से अपनी मृत्यु की प्रार्थना किया करती थी। वह तीस वर्षों तक ही मात्र ही दुनिया में रही। फिर भी वह इतना कम समय में ही सारी दु:खों को काट ली थी। वह इतने ही दिन में अपने जिंदगी से ऊब गई थी। एक दिन ऐसा होता है। कि उसकी मृत्यु अचानक हो जाती है। तो तब वह इस दुनिया को छोड़ कर चली जाती है। Nimmo ki maut par class 9th hindi
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