इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 9 हिंदी पद्य भाग के पाठ आठ ‘मेरा ईश्वर’ (Mera Ishwar Kavita class 9 Hindi) के अर्थ को पढ़ेंगे। जिसें लेखक लीलाधर जगूड़ी है।
मेरा ईश्वर
पाठ – 8
लेखक परिचय
लीलाधर जगूड़ी
जन्म :- लीलाधर जगूड़ी का जन्म धंगड़ गाँव टिहरी, उत्तराखंड में 1 जुलाई 1944 ई. को हुआ था।
विशेष :- ग्यारह वर्ष की अवस्था में घर से भागकर अनेक शहरों और प्रांतो में कई प्रकार की जीविकाएं करते रहे। सन् 1966 ई. से 1980 ई. तक उन्होंने उत्तरप्रदेश के शासकीय बिद्यालय में उत्तरप्रदेश सुचना एवं जनसंपर्क बिभाग से सम्बन्ध हुए और वहाँ की मासिक पत्रिका उत्तरप्रदेश के प्रधान संपादक बने।
प्रमुख कृतिया :- ‘शंखमुखी शिखरो पर ’, ‘नाटक जारी हैं’, ‘इस यगो में ’, ‘ रात अब भी मौजूद हैं ‘, ‘बची हुई पृथ्वी ’, ‘घबराये हुए शब्द ’, ‘भय भी सकती देता हैं ’, ‘अनुभय के आकाश में चाँद ’, आदि।
8. मेरा ईश्वर
मेरा ईश्वर
मेरा ईश्वर मुझसे नाराज है
क्योंकि मैंने दुखी न रहने की ठान ली
भावार्थ :-
प्रस्तुत पंक्तियाँ “मेरा ईश्वर” कविता शीर्षक पाठ से ली गई है इस कविता के रचइयता कवि लीलाधार जगुड़ी के द्वारा लिखा गया है।
इस पंक्तियों के माध्यम से कवि यह कहते हैं। ये सत्ताधारी वर्ग के लोगों तुम अपने आपको ईश्वर मानते हो । तुमको लगता है कि छोटे-छोटे यानि,की गरीब लोग तुमको अपना ईश्वर समझकर तुम्हारी गुलामी करेंगे, तो ऐसा बात नहीं है, गरीब लोग भी अपने संघर्ष और बल पर भरोसा रख कर वह अपनी परिस्थिति से लड़ने की सास रखते हैं। वह भी किसी के आगे अपना सर नहीं झुकाते हैं। Mera Ishwar Kavita class 9 Hindi
मेरे देवता नाराज हैं
क्योंकि जो जरूरी नहीं है
मैंने त्यागने की कसम खा ली है
भावार्थ :-
प्रस्तुत पंक्तियाँ “मेरा ईश्वर” कविता शीर्षक पाठ से ली गई है इस कविता के रचइयता कवि लीलाधार जगुड़ी के द्वारा लिखा गया है।
प्रस्तुत पंक्तियों के माध्यम से कवि यह प्रकट करना चाहते हैं। कि जो सत्ताधारी लोग हैं। वह चाहते हैं, कि हम से नीचले पोस्ट के लोग मेरे आदेश का पालन करें, तथा मेरी मर्जी से कुछ भी करें, लेकिन गरीब लोग भी उनकी खुशामद करने के लिए तैयार नहीं है। वह लोग भी अपनी इच्छा से सब कुछ करने लगे हैं, वे लोग भी अब कसम खा लिए हैं कि हम लोग भी, अब किसी के आगे अपना हाथ नहीं फैलायांगे, बल्कि अपने संघर्ष से अपने कार्य को पूरा करेंगे।
न दु:खी रहने का कारोबार करना है
न सुखी रहने का व्यसन
मेरी परेशानियाँ और मेरे दुख ही
ईश्वर का आधार क्यों हों ?
भावार्थ :-
प्रस्तुत पंक्तियाँ “मेरा ईश्वर” कविता शीर्षक पाठ से ली गई है इस कविता के रचइयता कवि लीलाधार जगुड़ी के द्वारा लिखा गया है।
इस पंक्तियों के माध्यम से कवि यह प्रकट करते हैं। कि जो धनहीन लोग हैं। वह कहते हैं, कि हम लोग सुखी रहने के लिए कोई कार्य करना नहीं चाहते हैं,और ना ही दु:ख ही रहने का कोई कार्य करना चाहते हैं। हम लोग जैसा हैं वैसे ही बहुत खुश हैं। वे कहते हैं, हम अपनी परेशानी को बताकर धनवान लोग को भी दु:खी क्यों करें, हम लोग अपने सुख और दु:ख का कारण ईश्वर को ही मान सकते हैं, हम लोग अपने संघर्ष के बल पर अपनी सारी समस्याओं का हल खोज सकते हैं। तथा अपनी जिंदगी को आनंदमय बना सकते हैं।
पर सुख भी तो कोई नहीं है मेरे पास
सिवा इसके कि दुखी न रहने की ठान ली है ।
भावार्थ :-
प्रस्तुत पंक्तियाँ “मेरा ईश्वर” कविता शीर्षक पाठ से ली गई है इस कविता के रचइयता कवि लीलाधार जगुड़ी के द्वारा लिखा गया है।
इस पंक्तियों के माध्यम से कवी कहते हैं,कि हम लोग गरीब हैं, वह अपनी गरीबी को लेकर दु:खी रहना नहीं चाहते हैं, वे लोग कहते हैं कि जब मेरे जिंदगी में सुख है ही नहीं, तो हम दु:ख से क्यों अलग भागे, इसलिए हम लोग दु:खी पड़ने पर भी दु:खी नहीं रहने का ठान लिए हैं। Mera Ishwar Kavita class 9 Hindi
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