इस पोस्ट में झारखण्ड बोर्ड कक्षा 10 के सामाजिक विज्ञान राजनितीक शास्त्र के पाठ सात ‘लोकतंत्र के परिणाम (Loktantra ke parinam)’ के Book solutions को पढ़ेंगे।
पाठ 7
लोकतंत्र के परिणाम
1. लोकतंत्र किस तरह उत्तरदायी, ज़िम्मेवार और वैध सरकार का गठन करता है?
उत्तर- लोकतंत्र निम्नलिखित कारणों से लोगों के प्रति उत्तरदायी, जिम्मेवार और वैधानिक शासन होता है।
(i) एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में नागरिक सरकार द्वारा दिए जाने वाले निर्णयों में भाग ले सकते हैं। राजनीतिक दल तथा दबाव समूह को भी सरकार की नीतियों की आलोचना करने का अधिकार होता है। इसलिए सरकार भी कोई निर्णय लेने से पहले जनता की भावनाओं तथा इच्छाओं को ध्यान में रखती है इससे सरकार जिम्मेवार बनी रहती है।
(ii) लोकतंत्र वह शासन प्रणाली है जिसमें शासन जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधि चलाते हैं। जनता द्वारा निर्वाचित सरकार जनता के प्रति उत्तरदायी भी रहती है। सरकार के शासनकाल में लोग उससे उसकी नीतियों तथा कार्यक्रमों के बारे में पूछताछ कर सकते हैं। जनता अपने द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से भी सरकार से पूछताछ कर सकती है।
2. लोकतंत्र किन स्थितियों में सामाजिक विविधता को सँभालता है और उनके बीच सामंजस्य बैठाता है ?
उत्तर- विश्व के लगभग सभी देशों में जाति, धर्म, भाषा तथा संस्कृति आदि के आधार पर विभिन्नताएँ पाई जाती है। इन विभिन्न नेताओं को संभालने तथा उनके बीच सामंजस्य बैठने के लिए लोकतंत्र सबसे उत्तम सरकार मानी जाती है। लोकतंत्र एक ऐसी शासन प्रणाली है जिसमें सभी नागरिकों को समान अधिकार तथा अवसर प्राप्त होते हैं। और लोगों में जाति, धर्म, वंश तथा भाषा आदि के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता है। पिछड़े हुए तथा गरीब नागरिकों को भी मतदान करने तथा चुनाव लड़ने के अधिकार दिए जाते हैं। कुछ राज्यों में तो पिछड़े वर्गों के लिए सरकारी नौकरियाँ तथा विधान मंडलों में स्थान आरक्षित करने की व्यवस्था की जाती है। भारत इसका एक उदाहरण है। इस प्रकार सभी वर्ग के लोगों को अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करने और सरकार को नीतियों एवं कार्यक्रमों के बारे में निर्णय लेने में भागीदारी मिलती है इस प्रकार के लोकतंत्र में सभी सामाजिक विभिन्नता में समंजस्य से बैठाया जाता है।
Loktantra ke parinam
3. निम्नलिखित कथनों के पक्ष या विपक्ष में तर्क दें :
- औद्योगिक देश ही लोकतांत्रिक व्यवस्था का भार उठा सकते हैं पर गरीब देशों को आर्थिक विकास करने के लिए तानाशाही चाहिए।
- लोकतंत्र अपने नागरिकों के बीच की असमानता को कम नहीं कर सकता।
- ग़रीब देशों की सरकार को अपने ज़्यादा संसाधन गरीबी को कम करने और आहार, कपड़ा, स्वास्थ्य तथा शिक्षा पर लगाने की जगह उद्योगों और बुनियादी आर्थिक ढाँचे पर खर्च करने चाहिए।
- नागरिकों के बीच आर्थिक समानता अमीर और गरीब, दोनों तरह के लोकतांत्रिक देशों में है।
- लोकतंत्र में सभी को एक ही वोट का अधिकार है। इसका मतलब है कि लोकतंत्र में किसी तरह का प्रभुत्व और टकराव नहीं होता।
उत्तर- हम इस बात से सहमत हैं कि लोकतंत्र अपने नागरिकों के बीच की समानता को कम नहीं कर सकता। लोकतंत्र में यद्यपि सभी नागरिकों को समान अधिकार तथा विकास के समान अवसर उपलब्ध होते हैं। परंतु व्यवहार में वहाँ पर अमीर गरीब शिक्षित अशिक्षित लोगों में भारी अंतर पाया जाता है। भारत में एक ओर टाटा, बिरला, अंबानी बंधु तथा एन.एल मित्तल जैसे पूँजीपति है और दूसरी ओर करोड़ों लोग ऐसे हैं जिन्हें दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती। इसी प्रकार दक्षिण अफ्रीका में ऊपर के 20% लोगों के पास देश का 60% धन है। जबकि नीचे के 20% के पास 30% से कम धन है। अतः हम यह कह सकते हैं कि लोकतंत्र आर्थिक असमानता को दूर करने में असफल है।
(ii) लोकतंत्र में यद्यपि सभी नागरिकों को समान रूप से एक हिम्मत का अधिकार दिया गया है। परंतु इसका यह अर्थ नहीं है कि वहाँ पर किसी प्रकार का टकराव या प्रभुत्व का प्रश्न नहीं होता। यदि कोई सरकार अपने बहुमत के बल पर समाज के किसी अल्पसंख्यक वर्ग की माँगों को दबाने का प्रयत्न करती है और उनकी ओर कोई ध्यान नहीं देती तो तनाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। लोकतंत्र में सभी को समान अधिकार देकर तथा बहुसंख्यक वर्ग और अल्पसंख्यक वर्ग के आपसी संबंधों को मधुर बनाकर तनाव एवं प्रभुत्व स्थिति से बचाया जा सकता है।
Loktantra ke parinam
4. नीचे दिए गए ब्यौरों में लोकतंत्र की चुनौतियों की पहचान करें। ये स्थितियाँ किस तरह नागरिकों के गरिमापूर्ण, सुरक्षित और शांतिपूर्ण जीवन के लिए चुनौती पेश करती हैं। लोकतंत्र को मज़बूत बनाने के लिए नीतिगत – संस्थागत उपाय भी सुझाएँ :
- उच्च न्यायालय के निर्देश के बाद ओड़िसा में दलितों और गैर- दलितों के प्रवेश के लिए अलग-अलग दरवाज़ा रखने वाले एक मंदिर को एक ही दरवाज़े से सबको प्रवेश की अनुमति देनी पड़ी।
- भारत के विभिन्न राज्यों में बड़ी संख्या में किसान आत्महत्या कर रहे हैं।
- जम्मू-कश्मीर के गंडवारा में मुठभेड़ बताकर जम्मू-कश्मीर पुलिस द्वारा तीन नागरिकों की हत्या करने के आरोप को देखते हुए इस घटना के जाँच के आदेश दिए गए।
उत्तर- (i) भारत के विभिन्न राज्यों में किसानों द्वारा आत्महत्या की घटनाएँ नागरिकों के बीच आर्थिक असमानता को दर्शाती है। सरकार को गरीब किसानों को आर्थिक सहायता तथा कम ब्याज पर ऋण देने की योजना तुरंत लागू करनी चाहिए।
(ii) माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश ने मंदिर में चल रही सामाजिक असमानता की प्रथा को समाप्त किया गया है। और जाति के आधार पर नागरिकों के बीच चल रहे भेदभाव का अंत किया है।
(iii) यह घटना प्रशासन की गैर जिम्मेवारी को सामने लाती है। सरकार द्वारा इस घटना की जाँच करने के आदेश देने से लोगों का लोकतंत्र तथा सरकार में विश्वास और मजबूत होता है।
लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के संदर्भ में इनमें से कौन-सा विचार सही है – लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं ने सफलतापूर्वक :
- लोगों के बीच टकराव को समाप्त कर दिया है।
- लोगों के बीच की आर्थिक असमानताएँ समाप्त कर दी हैं।
- हाशिए के समूहों से कैसा व्यवहार हो, इस बारे में सारे मतभेद मिटा दिए हैं।
- राजनीतिक गैर बराबरी के विचार को समाप्त कर दिया है।
उत्तर- लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं ने राजनीति के गैर बराबरी के विचार को समाप्त कर दिया है।
Loktantra ke parinam
- लोकतंत्र के मूल्यांकन के लिहाज से इनमें कोई एक चीज़ लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के अनुरूप नहीं है। उसे चुनें :
(क) स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव
(ख) व्यक्ति की गरिमा
(ग) बहुसंख्यकों का शासन
(घ) कानून से समक्ष समानता
उत्तर- व्यक्ति की गरिमा।
7. लोकतांत्रिक व्यवस्था के राजनीतिक और सामाजिक असमानताओं के बारे में किए गए अध्ययन
बताते हैं कि-
- लोकतंत्र और विकास साथ ही चलते हैं।
- लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में असमानताएँ बनी रहती हैं।
- तानाशाही में असमानताएँ नहीं होतीं ।
- तानाशाहियाँ लोकतंत्र से बेहतर साबित हुई हैं।
उत्तर- लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में असमानताएँ बनी रहती है।
8. नीचे दिए गए अनुच्छेद को पढ़ें ;
नन्नू एक दिहाड़ी मजदूर है। वह पूर्वी दिल्ली की एक झुग्गी बस्ती वेलकम मज़दूर कॉलोनी में रहता है। उसका राशन कार्ड गुम हो गया और जनवरी 2006 में उसने डुप्लीकेट राशन कार्ड बनाने के लिए अर्जी दी। अगले तीन महीनों तक उसने राशन विभाग के दफ़्तर के कई चक्कर लगाए लेकिन वहाँ तैनात किरानी और अधिकारी उसका काम करने या उसके अर्ज़ी की स्थिति बताने की कौन कहे उसको देखने तक के लिए तैयार न थे। आखिरकार उसने सूचना के अधिकार का उपयोग करते हुए अपनी अर्जी की दैनिक प्रगति का ब्यौरा देने का आवेदन किया। इसके साथ ही उसने इस अर्जी पर काम करने वाले अधिकारियों के नाम और काम न करने की सूरत में उनके खिलाफ़ होने वाली कार्रवाई का ब्यौरा भी माँगा। सूचना के अधिकार वाला आवेदन देने के हफ़्ते भर के अंदर खाद्य विभाग का एक इंस्पेक्टर उसके घर आया और उसने नन्नू को बताया कि तुम्हारा राशन कार्ड तैयार है और तुम दफ़्तर आकर उसे ले जा सकते हो । अगले दिन जब नन्नू राशन कार्ड लेने गया तो उस इलाके के खाद्य और आपूर्ति विभाग सबसे बड़े अधिकारी ने गर्मजोशी से उसका स्वागत किया। इस अधिकारी ने उसे चाय की पेशकश की और कहा कि अब आपका काम हो गया है इसलिए सूचना के अधिकार वाला अपना आवेदन आप वापस ले लें।
नन्नू का उदाहरण क्या बताता है ? नन्नू के इस आवेदन का अधिकारियों पर क्या असर हुआ ? अपने माँ-पिताजी से पूछिए कि अपनी समस्याओं के लिए सरकारी कर्मचारियों के पास जाने का उनका अनुभव कैसा रहा है।
उत्तर- नन्नू के उदाहरण से हमें यह पता चलता है कि सूचना के अधिकार संबंधी अधिनियम ने नागरिकों को बहुत ही सशक्त बना दिया है। यह सरकारी अधिकारी जो पहले नन्नू का बना काम करना तो दूर उससे बात करने के लिए तैयार ना थे। नन्नू द्वारा इस अधिकार के प्रयोग के पश्चात तुरंत ही उसका काम करने के लिए तैयार हो गए। उसका काम करने के साथ-साथ अधिकारियों के व्यवहार में भी अंतर आ गया। अतः लोकतंत्र नागरिकों को सशक्त बनाने का पक्षधर है।
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