इस पोस्ट में झारखण्ड बोर्ड कक्षा 10 के सामाजिक विज्ञान राजनितीक शास्त्र के पाठ तीन ‘ लोकतंत्र और विविधता(Loktantra aur vividhata)’ के Book solutions को पढ़ेंगे।
पाठ 3
लोकतंत्र और विविधता
1. सामाजिक विभाजनों की राजनीति के परिणाम तय करने वाले तीन कारकों की चर्चा करें।
उत्तर- सामाजिक विभाजन की राजनीति का परिणाम निम्न तीन बातों पर निर्भर करता है।
- राजनीति दलों की भूमिका:- दूसरे स्थान पर महत्वपूर्ण बात यह है कि राजनीतिक दल तथा नेता लोगों की माँगों को किस प्रकार से उठा रहे हैं। संविधान के दायरे में आने वाली और दूसरे समुदायों के हितों को नुकसान पहुँचाने वाली माँगों को मान लेना आसान होता है। श्रीलंका में ‘सिन्हाला’ लोगों की माँग श्रीलंका केवल तन्हाइयों के लिए तमिल समुदाय की पहचान तथा हितो के खिलाफ है। अतः उसका कोई समाधान नहीं हो सका है और वहाँ पर दोनों समूहों के बीच तनाव और हिंसा की स्थिति बनी हुई है।
- सरकार का रवैया:- तीसरे, यह इस बात पर निर्भर करता है कि सरकार विभिन्न समूह की माँगों के बारे में क्या रवैया रखती है। यदि सरकार सत्ता में साझेदारी करने के लिए तैयार है और अल्पसंख्यक समुदाय की उचित माँगों को पूरा करने की इमानदारी से कोशिश करता है तो सामाजिक विभाजन देश के लिए खतरा नहीं बनते। इसके विपरीत आदि सरकार राष्ट्रीय एकता तथा हित के नाम पर अल्पसंख्यकों की माँगों को दबाना शुरू कर दें तो इसके भयानक परिणाम हो सकते हैं। सत्ता के बल पर एकता बनाए रखने का प्रयत्न विभाजन की ओर ले जाता है
- लोग अपनी पहचान को किस प्रकार देखते हैं:- सर्वप्रथम यह बात इस पर निर्भर करती है कि लोग अपनी पहचान को किस प्रकार से देखते हैं। यदि वे अपने को एक धर्म अथवा जाति के आधार पर अपने को अन्य लोगों से अलग रखते हैं तथा अलग सोचते हैं। तो भी स्थिति बहुत ही खतरनाक हो सकती है। उदाहरण स्वरूप:- उत्तर- आयरलैंड के लोग अपने को केवल रोमन कैथोलिक तथा प्रोटेस्टेंट के रूप में देखते रहेंगे। तब तक वहाँ तनाव की स्थिति बनी रहेगी।
2. सामाजिक अंतर कब और कैसे सामाजिक विभाजनों का रूप ले लेते हैं?
उत्तर- साधारणत: सामाजिक विभिनताएँ जन्म, रंग, लिंग, भाषाओं, धर्म तथा संस्कृति पर आधारित होती है। विश्व के अनेक ऐसे समाज है जिस में भिन्न-भिन्न रंगों (काले तथा गोरे) के लोग रहते हैं, जो एक दूसरे से घृना करते हैं। और श्वेत लोग काले रंग के लोगों को एक दूर्व्य व्यवहार करते हैं और सरकार की अनेक प्रति अपेक्षा पूर्ण तथा नकारात्मक नीति अपनाती है। अमेरिका जैसे देश में काला तथा गोरे का अंतर एक सामाजिक विभाजन भी बन जाता है। क्योंकि काले लोग आमतौर पर गरीब हैं, अपेक्षित है तथा भेदभाव का शिकार हैं। कुछ वर्ष पहले तक दक्षिण अफ्रीका में भी कुछ ऐसी स्थिति थी। भारत में सामाजिक विभाजन जाति पर आधारित है, जिसमें दलित वर्ग के लोग जो आमतौर पर गरीब तथा भूमिहीन है, अन्याय का शिकार होते रहते हैं।
Loktantra aur vividhata
3. सामाजिक विभाजन किस तरह से राजनीति को प्रभावित करते हैं? दो उदाहरण भी दीजिए। सामाजिक अंतर बताएँ।
उत्तर- सामाजिक विभाजन निम्नलिखित तरह से राजनीति को प्रभावित करते हैं, जो निम्नलिखित है। प्रायः यह विचार प्रस्तुत किया जाता है कि राजनीति तथा सामाजिक विभाजन का मिलन देश के लिए बहुत ही खतरनाक होता है। श्रीलंका तथा घोंसला रिया के उदाहरण हमारे सामने हैं। जहाँ पर धर्म तथा जातीय आधार पर गणित जन समूह राजनीति को भी विभिन्न समूह विचारधाराओं राजनीतिक दलों तथा कार्यक्रमों के आधार पर बाँटने में सफल हो जाते हैं। श्रीलंका में सिन्हाला तथा तमिलों के बीच का विभाजन देश की राजनीति को बहुत प्रभावित कर रहा है और उसे गृह युद्ध के द्वार पर लाकर खड़ा कर दिया है। युगोस्लाविया में तो ऐसे विभाजन में देश का ही कई भागों में बँटवारा कर दिया है।
परंतु यह बात ध्यान देने योग्य है कि सामाजिक विभाजन का प्रत्येक रूप देश के विभाजन अथवा टूटने का कारण बनता है। वास्तव में सामाजिक विभाजन का प्रतीक रूप देश के विभाग अथवा टूटने का कारण बनता है। वास्तव में सामाजिक विभाजन विश्व के लगभग सभी देशों में मौजूद है और वे देश की राजनीति को प्रभावित करते हैं। चुनावों में राजनीतिक दल इन विभाजन के आधार पर वोट माँगते हैं और समाज के एवं वर्ग की भलाई के हितों की बात करते हैं। भारत में बहुजन समाज पार्टी केवल दलितों हितों की ही बात करती है। परंतु उससे देश के विभाजन का कोई खतरा नहीं है। अतः लोकतंत्र में सभी को यह समझना चाहिए कि मत अभिव्यक्ति सर्वश्रेष्ठ मार्ग है, ना कि हिंसा का मार्ग।
4.सामाजिक विभाजन और तनावों की स्थिति पैदा …… सामाजिक अंतर सामान्य तौर पर टकराव की स्थिति तक नहीं जाते।
उत्तर- कुछ सामाजिक अंतर गहरे सामाजिक विभाजन और तनाव की स्थिति पैदा करते हैं। सभी सामाजिक अंतर सामान्य तौर पर टकराव की स्थिति तक नहीं जाते।
5. सामाजिक विभाजनों को सँभालने के संदर्भ में इनमें से कौन सा बयान लोकतांत्रिक व्यवस्था पर लागू नहीं होता?
(क) लोकतंत्र में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते सामाजिक विभाजनों की छाया राजनीति पर भी पड़ती है।
(ख) लोकतंत्र में विभिन्न समुदायों के लिए शांतिपूर्ण ढंग से अपनी शिकायतें ज़ाहिर करना संभव है।
(ग) लोकतंत्र सामाजिक विभाजनों को हल करने का सबसे अच्छा तरीका है।
(घ) लोकतंत्र सामाजिक विभाजनों के आधार पर समाज को विखंडन की ओर ले जाता है।
उत्तर- लोकतंत्र सामाजिक विभाजनों के आधार पर समाज को विखंडन की ओर ले जाता है।
Loktantra aur vividhata
6. निम्नलिखित तीन बयानों पर विचार करें :
(अ) जहाँ सामाजिक अंतर एक-दूसरे से टकराते हैं वहाँ सामाजिक विभाजन होता है।
(ब) यह संभव है कि एक व्यक्ति की कई पहचान हो ।
(स) सिर्फ़ भारत जैसे बड़े देशों में ही सामाजिक विभाजन होते हैं।
इन बयानों में से कौन-कौन से बयान सही हैं।
- अ, ब और स (ख) अ और ब (ग) ब और स (घ) सिर्फ स
उत्तर- (ख) अ और ब
7. निम्नलिखित बयानों को तार्किक क्रम से लगाएँ और नीचे दिए गए कोड के आधार पर सही जवाब ढूँढ़ें।
(अ) सामाजिक विभाजन की सारी राजनीतिक अभिव्यक्तियाँ खतरनाक ही हों यह ज़रूरी नहीं है।
(ब) हर देश में किसी न किसी तरह के सामाजिक विभाजन रहते ही हैं।
(स) राजनीतिक दल सामाजिक विभाजनों के आधार पर राजनीतिक समर्थन जुटाने का प्रयास करते हैं।
(द) कुछ सामाजिक अंतर सामाजिक विभाजनों का रूप ले सकते हैं।
(क) द, ब, स, अ
(ख) द, ब, अ, स
(ग) द, अ, स, ब
(घ) अ, ब, स, द
उत्तर- (क) द, ब, स, अ
8. निम्नलिखित में किस देश को धार्मिक और जातीय पहचान के आधार विखंडन का सामना करना पड़ा ?
(क) बेल्जियम (ख) भारत (ग) यूगोस्लाविया (घ) नीदरलैंड
उत्तर- (ग) यूगोस्लाविया
Loktantra aur vividhata
9. मार्टिन लूथर किंग जूनियर के 1963 के प्रसिद्ध भाषण के निम्नलिखित अंश को पढ़ें। वे किस सामाजिक विभाजन की बात कर रहे हैं? उनकी उम्मीदें और आशंकाएँ क्या – क्या थीं? क्या आप उनके बयान और मैक्सिको ओलंपिक की उस घटना में कोई संबंध देखते हैं जिसका जिक्र इस अध्याय में था ?
” मेरा एक सपना है कि मेरे चार नन्हें बच्चे एक दिन ऐसे मुल्क में रहेंगे जहाँ उन्हें चमड़ी के रंग के आधार पर नहीं, बल्कि उनके चरित्र के असल गुणों के आधार पर परखा जाएगा। स्वतंत्रता को उसके असली रूप में आने दीजिए। स्वतंत्रता तभी कैद से बाहर आ पाएगी जब यह हर बस्ती, हर गाँव तक पहुँचेगी, हर राज्य और हर शहर में होगी और हम उस दिन को ला पाएँगे जब ईश्वर की सारी संतानें- अश्वेत स्त्री-पुरुष, गोरे लोग, यहूदी तथा गैर-यहूदी, प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक – हाथ में हाथ डालेंगी और इस पुरानी नीग्रो प्रार्थना को गाएँगी ‘मिली आज़ादी, मिली आज़ादी ! प्रभु बलिहारी, मिली आज़ादी ! ‘ मेरा एक सपना है कि एक दिन यह देश उठ खड़ा होगा और अपने वास्तविक स्वभाव के अनुरूप कहेगा, “हम इस स्पष्ट सत्य को मानते हैं कि सभी लोग समान हैं। “
उत्तर- सन् 1963 में दिए गए अपने इस भाषण में ‘मार्टिन लूथर किंग’ चमड़ी के आधार पर ‘काले’ और ‘गोरे’ के बीच सामाजिक विभाजन और दक्षिण अफ्रीका की सरकार द्वारा अपनाई जाने वाली रंग-भेद की नीति की बात कर रहे हैं उनकी आशाएँ और चिंता यह है कि उन्होंने अपने चार छोटे बच्चों के लिए एक सपना देखा है, जो उनके अनुसार एक ऐसे राज्य में जीवित होंगे। जिसमें लोग उन्हें उनकी चमड़ी के आधार पर नहीं बल्कि उन्हें उनके चरित्र के गुणों के आधार पर रखेंगे। उस दिन की कामना कर रहे हैं, जब सभी व्यक्ति स्त्री-पुरुष काले, गोरे, यहूदी तथा गैर यहूदी कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट एक ही प्रकार के अधिकारों तथा स्वतंत्रता का प्रयोग कर पाएँगे।
Loktantra aur vividhata
Read more – Click here
Watch video – Click here
Leave a Reply