इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 8 हिंदी के पाठ सतरह ‘खुशबू रचते हैं हाथ’ (Khushboo Rachte Hai Haath class 8 Hindi) के अर्थ को पढ़ेंगे। जिसके लेखक अरूण कमल है।
17 खुशबू रचते हैं हाथ
प्रस्तुत पाठ ‘खुशबू’ रचते है हाथ’ एक कविता है। इस कविता के रचनाकार अरूण कमल जी है यह कविता वंचित लोगों के समृद्ध अवदान की संवेदनशीलता को रेखांकित करती है महज समृद्ध के सौन्दर्य की अभ्यस्त दृष्टि से अलग यह कविता उसके पीछे सक्रिय श्रम की गरिमा का उद्घाटन करती हैं।
कई गलियों के बीच
कई नालों के पार
कूड़े-करकट के देरों के बाद
बदबू से फटते-जाते इस
टोले के अंदर खुशबू रचते हैं हाथ
खुशबू रचते है हाथ
प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि अरूण कमल के द्वारा लिखित ‘खुशबू रचते हैं हाथ’ से लिया गया है इस पंक्ति के माध्यम से कवि कहते हैं कि जिन लोगो के मेहनत से गाँव शहर तथा इस देश की सुदंरता बढ़ती है जो अपने हाथों से गंदगी साफ करते है तथा वातावरण को स्वच्छ रखने का प्रयास करते है लेकिन उन हाथों ओर किसी भी लोग का ध्यान नहीं जाता है। Khushboo Rachte Hai Haath class 8 Hindi
उभरी नसोंवाले हाथ
घिसे नाखूनोंवाले हाथ
पीपल के पत्ते-से नए-नए हाथ
जूही की डाल-से खुशबूदार हाथ
गंदे कटे-पिटे हाथ।
जख्म से फटे हुए हाथ
खुशबू रचते है हाथ।
खुशबू रचते है हाथ।
प्रस्तुत पंक्तियाँ अरूण कमल द्वारा लिखित कविता ‘खुशबू रचते है’ हाथ शीर्षक पाठ से लिया गया हैं। इसमें कवि ने खुशबू रचने वाले हाथों की दुर्दशा का मार्मिक वर्णन किया हैं।
कवि का कहना है कि जिन हाथो से दूसरो के वातावरण का सौन्दर्य-श्रृंगार किया जाता है वह हाथ अपनी दीन-दशा तथा लोगों की हीन मानसिकता के कारण विभिन्न प्रकार की परेशानियो एवं रोगों से ग्रस्त है। जो अपने मेहनत से दूसरो के ऐशो आराम में अपना खून-पसीना एक करता है वह खुद की ऐशो आराम को त्याग करता है। मेहनत करने वाले व्यक्ति के हाथ भी पीपल के नए पत्तो के जैसे कोमल होता है।लेकिन वह उन्हीं कोमल हाथो से संघर्ष करता है। फिर भी यो अपना सक्रिय श्रम करने से मुँह नहीं मोड़ते। इन्हीं के मेहनत पर सबका स्वास्थ्य आश्रित है। इसलिए इनके विकास की ओर हम सबका ध्यान जाना चाहिए। Khushboo Rachte Hai Haath class 8 Hindi
यहीं इस गली में बनती है
मुल्क की मशहूर अगरत्तियाँ
इन्हीं गंदे मुहल्लों के गंदे लोग
बनाते हैं केवड़ा, गुलाब, खस और
रातरानी अगरबत्तियाँ
दुनिया की सारी गंदगी के बीच
दुनिया की सारी खुशबू
रचते रहते है हाथ
खुशबू रचते है हाथ
खुशबू रचते है हाथ।
प्रस्तुत पंक्तियाँ अरूण कमल द्वारा लिखित कविता खुशबू रचते है हाथ शीर्षक कविता से लिया गया है। कवि कहते हैं कि यहाँ की गली में ही विभिन्न प्रकार अगरबत्तियाँ बनाया जाता है तथा जो लोग इस अगरबत्तियाँ को बनाते है। वह साफ नहीं रहते उनका शरीर गंदगी से भरी होती है। लेकिन उनके द्वारा बनाई गई अगरबत्तियाँ बहुत ही सुगंधित होती है। कवि का कहने का तात्पर्य है कि ठीक इसी प्रकार जो व्यक्ति श्रम करते है। वह ठीक से नहीं रहते पर उनके श्रम करने से जिस चीज का निर्माण होता वह बहुत हीं खुबसूरत तथा सुगंधीत होता है।
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