इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 8 हिंदी के पाठ सोलह ‘खेमा’ (Khema class 8 Hindi) के सारांश और व्याख्या को पढ़ेंगे। जिसके लेखक संकलित जी है।
16 खेमा
प्रस्तुत पाठ ‘खेमा’ एक कहानी है। जिसके लेखक संकलित जी है। इस कहानीं में लेखक खेमा नामक एक बालक के माध्यम से समग्र बाल-मजदूरों के साथ हो रही क्रूरता को उजागर करतें है। खेमा एक अतिनिर्धन बाप का बेटा है। परिवार का भरण-पोषण करने में असमर्थ पिता अपने अपने पुत्र को बाल-मजदूरी कराने के लिए विवश हो जाता हैं। इसी विवशता का लाभ मालिक कैसे उठाया है उसे बताया गया है।
गली के नुक्कड़ पर बिना नाम की चालू और अस्थाई होटल। टूटी-सी टेबल पर आठ-दस लीटर दूध से भरा एल्युमीनियम का भगोना और चाय शक्कर के डिब्बा एक छींक जिसमें आठ-दस गिलास रखें थे। इस ‘मुक्ताकाशी’ होटल का मालिक कसारा अपने काम को हल्का करने के लिए पास के किसी गाँव से एक बालक को ले आया था। वह बालक आठ से नौ वर्ष का था। वह गरीबी के कारण वह बालक उस होटल में काम करनें पर मजबुर हो जाता है लेकिन उस होंटल के मालिक कसारा उस बालक पर बहुत जुल्म करता है। मालिक छोटे से खेमा से गलास साफ करवाता है। टेबल तथा लोगो के यहाँ हिसाब लिखवाने के लिए भेजता है। लेट से आने पर मालिक उसे डांटता भी है। Khema class 8 Hindi
एक दिन की बात है। खेमा अपने मालिक से चप्पल खरिदने के लिए बोलता है लेकिन मालिक उस बालक को डांट कर हटा देता है। अप्रैल का महीना था खेमा के पैर में चप्पल नहीं थे। जिसके कारण उसका पैर बहुत जलता था वह जब गिलास धोने जाता था। तो सबसे पहले अपने पैर पर पानी को डालता था। दुकान पर आए ग्राहक भी खेमा के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते थे। वे लोग खेमा को गाली देते थे तभी खेमा कुछ नहीं बोलता बस हँस-हँस के रह जाता था। रात में मालिक खुद खा लेता था। पर खेमा को बहुत लेट से खाने के लिए बोलता था। और वह सो जाता तथा खेमा से दो घंटा तक पैर दबवाता था।
एक बार की बात है। लेखक उस दुकान पर चाय पीने जाते है और उस मासूम बालक को देख कर उस पर माया आ जाती है। वह उस बालक के सभी स्थियों के बारे में पता करते हैं। तथा उसके बाप से उस बालक को अपने साथ रहने के लिए आदेश ले लेते है। वह खेमा को अपने घर ले जाकर उसको पढ़ाते-लिखाते है। और उसको एक बड़ा आदमी बनने के लिए प्रेरित करते है। Khema class 8 Hindi
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