इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 9 हिंदी के पाठ एक ‘कहानी का प्लॉट’ (Kahani Ka Plot class 9 Hindi) के सारांश और व्याख्या को पढ़ेंगे।
पाठ :- 1
कहानी का प्लॉट
लेखक- शिवपूजन सहाय
जन्म : – 1893 ई. में उनवास बक्सर (बिहार) में हुआ था। इनके बचपन का नाम भोलानाथ था
निधन : – 1963 ई. में ।
दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद उन्होंने बनारस की अदालत में नकलनवीस की नौकरी की। बाद में वे हिंदी के अध्यापक बन गए।
शिवपूजन सहाय :- ‘जागरण’ ‘हिमालय’ ‘माधुरी’ बालक आदि कई प्रतिष्ठित -पत्रिकाओं का संपादन किया। इसके साथ ही वे हिंदी की – प्रतिष्ठित पत्रिका ‘मतवाला’ के संपादक मंडल में थे।
‘विभूति’ ‘देहाती दुनिया।” दो घड़ी “वे दिन वे लोग,” बिम्ब-प्रतिबिम्ब’ आदि पुस्तकों के अलावा उनके सैकड़ों लेख, निबंध आदि समय-समय पर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं एवं संग्रहों में प्रकाशित – संकलित होते रहे हैं। – उनकी रचनाओं का संकलन ‘शिवपूजन रचनावली, नाम से चार खंडों में बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् पटना द्वारा-प्रकाशित है।
पाठ :-1
कहानी का प्लॉट
प्रस्तुत कहानी ‘कहानी का प्लॉट, हिंदी भाषी क्षेत्र के एक जाने-माने सहाय के द्वारा लेखक शिवपूजन सहाय के द्वारा लिखा गया है। इस कहानी में लेखक एक गरीब पिता और उसकी बेटी की बारे में बताते है। वह कैसे अपनी बेटी की शादी करता है। वह गरीब पिता अपने जिंदगी को कैसे काटता है। और उसके साथ-साथ उसकी बेटी भी उसी गरीबी हालात में कैसे जीती है
यह कहानी एक छोटे से गांव की है। उस गांव में एक बुड्ढे मुंशी जी रहते थे। मुंशी जी के बड़े भाई दरोगा जी थे। तथा मुंशी जी को एक बुढ़ापे में एक लड़की की हुई थी। जिसका नाम लेखक ‘भागजोगनी’ रखते हैं। मुंशी जी के बड़े भाई दरोगा जी बहुत पैसे कमाते थे। कहा जाता है कि दरोगा जी ने आठ- दस पैसे का ‘करीमा खलिकबारी’ पढ़कर जितना रुपया कमाया था। उतना आज कॉलेज और अदालत की लाइब्रेरीआ चाटकर वकील होने वाली भी नहीं कमाते हैं। लेकिन वह जितने कमाते थे। सभी पैसा को खर्चा कर देते थे। दरोगाजी के ही कारण इनके भाई मुंशी जी बहुत सुखी संपन्न रहते थे। एक बार की बात है दरोगा जी का निधन हो जाता है। उस समय सिर्फ उनके कमीनी के उनकी एक घोड़ी बची थी जिसे भी ₹7 में बेच कर मुंशीजी अपने भाई का श्राद्ध करा दिए । Kahani Ka Plot class 9 Hindi
दरोगा जी के निधन हो जाने के बाद मुंशी जी की स्थिति हद से ज्यादा दयनीय हो गई ऊपर से एक बेटी भागजोगनी थी। इनके पास ना तो खाने के लिए अन और ना ही पहने के लिए वस्त्र। भगजोगनी किसी – किसी के यहाँ जाती तो कभी – कभी कुछ खाने के लिए लोग दे दिया करते थे। इसी तरह समय बीतता गया तथा भगजोगनी बड़ी हो गई मुंशी जी उसके शादी के लिए बहुत सारे लोगो के पास रिस्ता ले गए पर कोई भी उससे सादी करना नहीं चाहता था। गरीबी के कारण मुंशी जी के पास भी दहेज देने के लिए कुछ नहीं था। भगजोगनी बहुत सुन्दर थी एक और उसकी अनोखी घूँघराई बाल आँख और दूसरी और उसकी दर्दनाक ग़रीबी थी। लेखक भी मुंशी जी के पीड़ा को देखते हुए। अपने कई क्वारे मित्रो से अनुरोध किया उससे शादी करने के लिए पर कोई भी लेखक के बातो पर ध्यान नहीं देता था।
एक दिन वह समय आ ही जाती है जब भगजोगनी के शादी लेखक के रंडुए मित्र के साथ हो जाती है। इसके बाद भगजोगनी पूर्ण रूप से एक युवती महिला जैसी हो गई। लेकिन कुछ ही समय बाद उसके पति का निधन हो जाता है। तथा वह शौतेला बेटा के साथ रहने लगती है वह कहती है की मेरे दूसरे पति के रूप में शौतेला बेटा है।
Kahani Ka Plot class 9 Hindi
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