इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 8 हिंदी के पाठ उन्नीस ‘जननायक कर्पूरी ठाकुर’ (Jannayak Karpuri Thakur class 8 Hindi) के सारांश और व्याख्या को पढ़ेंगे।
19 जननायक कर्पूरी ठाकुर
प्रस्तुत पाठ ‘जननायक कर्पूरी ठाकुर’ में गरीबो के मसीहा, महान जनसेवी कर्पूरी ठाकुर की जीवन-यात्रा के उल्लेखनीय पहलुओं का उद्घाटन किया गया है। इस पाठ से उनकी जीवन-दृष्टि, संघर्षो, राजनैतिक विवेक के साथ-साथ मानवीय मूल्यों का पता चलता है। इन्होंने जीवन पर्यत्न गरीबों की सेवा की और उनके उध्दार का प्रयत्न किया। इसी लिए कर्पूरी ठाकुर बिहार की विभूतियों में अति सम्मानीय है तथा जननायक कहलाते हैं।
जिन्होंने परतंत्रता की पीड़ा से कराह रही मातृभूमि की आजादी के लिए अपनी पढ़ाई छोड़कर 1942 ई॰ की अगस्त क्रांति में हाथ बँटाया, वही हमारे जननायक कर्पूरी ठाकुर हैं। इनका जन्म बिहार के समस्तीपुर मण्डलान्तर्गत पितौंझिया गाँव मे 24 जनवरी, 1921 ई॰ को हुआ था। इनकी माता का रामदुलारी देवी, पिता का नाम गोकुल ठाकुर तथा पत्नी का नाम फुलेसरी देवी था।
इनका बाल्यकाल अन्य गरीब बच्चों की तरह खेल-कूद तथा पशुओं को चराने में बीता। इन्हे तैरने और दौड़ने का शौक था। छ; वर्ष की उम्र में इन्हे गावँ की विद्यालय में नामांकन कराया गया। पढ़ाई के दौरान स्कूल जाने के साथ-साथ पशु भी चराते थे। चरवाही में ग्रामीण गीतों के गायन के प्रति भी काफी रूचि थी। विद्यालक बनने के बाद भी मंडली में बैठकर डफ बजाने लगते थे। Jannayak Karpuri Thakur class 8 Hindi
सन् 1940 में मैट्रिक की परीक्षा द्वितीय श्रेणी में पास करने के बाद आई॰ए॰ में अपनो नाम चन्द्रधारी मिथिला महाविद्यालय दरभंगा में लिखवाया। आर्थिक अवस्था ठीक न होने के कारण गाँव से पैदाल चलकर मुक्तापुर स्टेशन आते थे। तथा वहाँ से रेलगाड़ी पकड़कर दरभंगा पहुँचते और कॉलेज में दिन भर पढ़कर संध्या समय घर लौटते। दो वर्षो तक कठोर जीवन बिताते हुए 1942 ई॰ में आई॰ए॰ की परीक्षा पास की और पुन; उसी कॉलेज में बी॰ए॰ में दाखिला लिया लेकिन सारी कामनाओं को मातृभूमि की बलिवेदी पर अर्पित कर आजादी का अलख जगाने में जुट गए। तथा आसपास के शहरों के स्कूल तथा कॉलेजों में पढ़ रहे छात्रों के आजादी के संग्राम में साथ देने के लिए प्रेरित करने लगे। इन्होंने लोकनायक जय प्रकाश नारायण द्वारा गठित ‘आजाद दस्ता’ का सक्रिय सदस्य बनकर लोगों को जागरूक करने में जुट गए। फलतः उन्हें गिरफतार कर दरभांगा जेल में डाल दिया गया।
1952 ई॰ के प्रथम आम चुनाव में समस्तीपुर के ताजपुर विधानसभा क्षेत्र से कर्पुरी ठाकुर भारी बहुमत से विजयी हुए। बाढ, भूख, गरीबी, बेकारी, भ्रष्टाचार, भूमि, सुधार, महँगाई, विकास इत्यादि समस्याओं पर इन्होंने विधानसभा में जोरदार आवाज बुलंद की 1952 ई॰ से 1988 ई॰ तक बिहार विधान सभा में कार्यवाहक अध्यक्ष, विरोधी दल के नेता, उपमुख्यमंत्री एवं हैजा पीड़ीतो को अपने कंधे पर बैठाकर अस्पताल पहुँचाते रहे। उनमें समानता की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। इसी कारण जब वह लिफ्ट पर लिखा हुआ देखा। तो चौंक पड़े और लिफ्ट का प्रयोग सबके लिए आम कर दिया। महान् बनना तो सहज है, लेकिन सबका प्रिय होना, बहुत मुश्किल है। जननायक कर्पूरी ठाकुर अपने विलक्षण व्यक्तित्व के कारण ही जननायक बने। ऐसे महान व्यक्ति का 17 फरवरी 1988 को हृदयाघात के कारण निधन हो गया।
Jannayak Karpuri Thakur class 8 Hindi
Read class 8th Hindi – Click here
Watch video – Click here
Leave a Reply