इस पोस्ट में झारखण्ड बोर्ड कक्षा 10 के सामाजिक विज्ञान राजनितीक शास्त्र के पाठ दो ‘जन, संघर्ष और आंदोलन (Jan sangharsh aur andolan class 10)’ के Book solutions को पढ़ेंगे।
पाठ 5
जन, संघर्ष और आंदोलन
1. दबाव समूह और आंदोलन राजनीति को किस तरह प्रभावित करते हैं?
उत्तर- दबाव समूह और आंदोलन राजनीति को निम्नलिखित तरह प्रभावित करते हैं। लोकतंत्र में दबाव समूह और आंदोलन दोनों ही देश की राजनीति को प्रभावित करते हैं, यद्यपि दोनों के तरीकों में अंतर है। दबाव समूह का निर्माण तब होता है जब एक ही वर्ग, पेशे, हित, मत अथवा आकांक्षा के लोग अपने उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए एकजुट हो जाते हैं। इन समूहों का उद्देश्य राजनीतिक सत्ता पर प्राप्त करना नहीं होता बल्कि राजनीति को अपने हितों के लिए अर्थात अपने पक्ष में प्रभावित करना होता है। अभी राजनीतिक दलों तथा नेताओं को धन अथवा अन्य प्रकार के प्रलोभन देकर अपने हितों को सुरक्षित रखने का कार्य करते हैं। दबाव समूह समाचार पत्रों, पोस्टरों जनसभाओं तथा हड़ताल आदि के द्वारा सरकार तथा जनता का ध्यान अपने हितों की ओर आकर्षित करते हैं तथा सरकार की नीतियों को अपने हितों के पक्ष में प्रभावित करने का प्रयत्न करते रहते हैं।
2. दबाव-समूहों और राजनीतिक दलों के आपसी संबंधों का स्वरूप कैसा होता है, वर्णन करें।
उत्तर- दबाव समूह और राजनीतिक दलों के आपसी संबंधों का स्वरूप निम्नलिखित प्रकार से होता है।
गुट- समूह ऐसे संगठन होते हैं, जो अपने सदस्यों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए सरकार की नीतियों को प्रभावित करने का प्रयत्न करते रहते हैं। वे प्रत्यय रूप से राजनीति में भाग नहीं लेते और उनका उद्देश्य शासन की सप्ताह प्राप्त करना नहीं होता। इसके दूसरी ओर राजनीतिक दल ऐसे संगठन होते हैं, जिनका उद्देश्य सत्ता को हथियाना होता है। वह चुनाव में अपने उम्मीदवार खड़े करते हैं तथा विधानमंडल में बहुमत प्राप्त करके सरकार का गठन करने की कोशिश करते हैं। दबाव समूह यद्यपि प्रत्यक्ष रूप से चुनाव में भाग नहीं लेते परंतु भी राजनीतिक दलों की कई प्रकार से सहायता करते हैं ताकि चुनाव के पश्चात दल की सरकार उनके हितों की रक्षा करें। चुनाव में दबाव समूह राजनीतिक दलों की धन वाहनों तथा अन्य चुनाव सामग्री से सहायता करते हैं। वे राजनीतिक दलों को उन तथ्यों के बारे में सूचना भी उपलब्ध कराते हैं, जो उनके हितों से संबंधित होते हैं। चुनाव में जिस दल को बहुमत प्राप्त हो जाता है, वह सरकार का गठन करता है। और अपनी नीतियों का निर्माण दबाव समूह के हितों को सुरक्षित रखने के लिए करता है और अपनी नीतियों का निर्माण दबाव समूह के हितों को सुरक्षित रखने के लिए करता है। जिन्होंने चुनाव में दल की सहायता की थी जो राजनीतिक दल चुनाव हार जाते हैं। विधानमंडल में उस दल के प्रतिनिधि भी ऐसे दबाव समूह की मांगों के प्रति सरकार का ध्यान आकर्षित करते हैं। जिन्होंने चुनाव में दल की धन तथा अन्य साधनों से सहायता की थी। इस प्रकार राजनीतिक दलों और दबाव समूह ने गहरा संबंध बना रहता है।
3. दबाव-समूहों की गतिविधियाँ लोकतांत्रिक सरकार के कामकाज में कैसे उपयोगी होती हैं?
उत्तर- दबाव समूह लोकतंत्र सरकार के संचालन में निम्नलिखित तरीके में उपयोगी होते हैं।
- चुनाव में सक्रिय योगदान यद्यपि हित समूह तथा दबाव समूह के सदस्य प्रत्यक्ष रूप से चुनाव में भाग नहीं लेते परंतु वह चुनाव प्रक्रिया को अवश्य ही प्रभावित करते हैं
- (ii) कानून निर्माण में सहायक दबाव समूह अपनी विशेषता एवं ज्ञान गुरु के कारण सही सूचनाओं के माध्यम से सांसदों एवं विधायकों को कानून निर्माण में आवश्यक परामर्श देते हैं। इनके परामर्श और सहायता की इतनी उपयोगिता होती है कि इन्हें विधानमंडल के पीछे विधानमंडल कहा जाता है। वास्तव में दबाव समूह लोकतांत्रिक व्यवस्था की प्रवाहित है।
- जनमत का निर्माण करना:- दबाव समूह विभिन्न प्रश्नों पर जनता को शिक्षित करके जनमत का निर्माण करने में सहायता करते हैं। वे प्रचार, लेखो, भाषणों, समाचार पत्रों, सम्मेलनों एवं सभाओं के द्वारा अपने लक्ष्य का प्रचार करते हैं।
- सरकार तथा जनता के बीच कड़ी:- दबाव समूह जनता तथा सरकार के बीच कड़ी का काम करते हैं, वे जनता की भावनाओं तथा उनकी माँगों को सरकार तक पहुँचाते हैं। और सरकार की नीतियों का जनता में प्रचार करते हैं, इस प्रकार दबाव समूह लोकतंत्र के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- सरकार की निरंकुशता पर नियंत्रण प्रतीक शासन व्यवस्था में केंद्रीयकरण की प्रवृत्ति बढ़ने के कारण समस्त शक्तियाँ सरकार के हाथों में केंद्रित होती जा रही है। दबाव समूह अपने साधनों द्वारा सरकार को निरंकुश बनने से रोकते हैं।
4. दबाव समूह क्या हैं? कुछ उदाहरण बताइए।
उत्तर- आधुनिक राजनीतिक प्रणालियों में विभिन्न वर्गों के लोग अपने संयुक्त हितों की सुरक्षा तथा विकास के लिए संगठनों का निर्माण करते हैं, ऐसे संगठनों को हित समूह कहा जाता है। जब हित समूह अपने हितों के विकास के लिए विभिन्न साधनों के द्वारा सरकार की नीतियों को प्रभावित करने का प्रयत्न करते हैं। तब यह हित समूह दबाव समूह का रूप धारण कर लेते हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि दबाव समूह संयुक्त ही तो तथा संयुक्त उद्देश्यों वाले लोगों का ऐसा संगठन होता है, जो प्रत्यक्ष रूप से राजनीति में भाग नहीं लेता। किंतु विभिन्न साधनों द्वारा सरकार की नीतियों को अपने ही तुम्हें प्रभावित करने का प्रयत्न करता है।
सी० एच० ढ़िल्लों:- (C.H Dhillon) के अनुसार ”साधारण शब्दों में सम्मानित वाले व्यक्तियों के समूह को हित समूह कहते हैं। जब वह अपने लाभ की प्राप्ति के लिए सरकार सहायता प्राप्त करते हैं तो वे दबाव समूह का रूप धारण कर लेते हैं।”
5. दबाव समूह और राजनीतिक दल में क्या अंतर है?
उत्तर- दबाव समूह और राजनीतिक दल में अंतर निम्नलिखित है।
- राजनीतिक दलों का निर्माण एक दबाव समूह के मिलने से होता है। अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिए वे प्रय: राजनीतिक दलों के माध्यम से शासन और विधायकों पर दबाव डालने का प्रयत्न करते रहते हैं।
- एक व्यक्ति एक समय में एक ही राजनीतिक दल का सदस्य बन सकता है इसके विपरीत एक व्यक्ति एक ही समय में कितने भी दबाव समूह का सदस्य बन सकता है। अतः राजनीतिक दल की सदस्यता अनन्य है।
- दबाव समूह का उद्देश्य सत्ता प्राप्त करना नहीं बल्कि सत्ता को प्रभावित करके उन पर दबाव डालकर अपने उद्देश्य की प्राप्ति करना है। परंतु राजनीतिक दल का उद्देश्य चुनाव में सफलता प्राप्त करके सत्ता पर नियंत्रण करना होता है चौथा राजनीतिक दल एक राजनीतिक संगठन होता है जो समाज के सामान्य हितों का प्रतिनिधित्व करता है परंतु दबाव समूह राजनीतिक संगठन है वह किसी विशेष वर्ग के समान हितों को लेकर चलता है पांचवा दबाव समूह सरकार पर दबाव डालकर अपने हित पूर्ति करना चाहता है वह संवैधानिक तथा असंवैधानिक दोनों तरीकों से अपना काम करता है परंतु राजनीतिक दल दबाव डालकर सत्ता प्राप्त करना नहीं चाहता वह तो संवैधानिक साधनों से सत्ता प्राप्त करना चाहता है
Jan sangharsh aur andolan
6. जो संगठन विशिष्ट सामाजिक वर्ग जैसे मज़दूर, कर्मचारी, शिक्षक और वकील आदि के हितों को बढ़ावा देने की गतिविधियाँ चलाते हैं उन्हें …………………………….. कहा जाता है।
उत्तर- दबाव समूह
- निम्नलिखित में किस कथन से स्पष्ट होता है कि दबाव समूह और राजनीतिक दल में अंतर होता है
(क) राजनीतिक दल राजनीतिक पक्ष लेते हैं जबकि दबाव समूह राजनीतिक मसलों की चिंता नहीं करते।
(ख) विभिन्न धर्मों के लोग समान नागरिक के रूप में खुशी-खुशी साथ रह सकते हैं।
(ग) दबाव समूह कुछ लोगों तक ही सीमित होते हैं जबकि राजनीतिक दल का दायरा ज़्यादा लोगों तक फैला होता है।
(घ) दबाव समूह सत्ता में नहीं आना चाहते जबकि राजनीतिक दल सत्ता हासिल करना चाहते हैं।
दबाव समूह लोगों की लामबंदी नहीं करते जबकि राजनीतिक दल करते हैं।
उत्तर- दबाव-समूह सत्ता में नहीं आना चाहते जबकि राजनीतिक दल सत्ता हासिल करना चाहते हैं।
8. सूची-I ( संगठन और संघर्ष) का मिलान सूची – II से कीजिए और सूचियों के नीचे दी गई सारणी से सही उत्तर चुनिए :
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उत्तर- (ख) ग घ क ख
Jan sangharsh aur andolan
9. सूची I का सूची II से मिलान करें जो सूचियों के नीचे दी गई सारणी में सही उत्तर हो चुनें
उत्तर- अ घ ग क ख
Jan sangharsh aur andolan
10. दबाव-समूहों और राजनीतिक दलों के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए ।
(क) दबाव समूह समाज के किसी खास तबके के हितों की संगठित अभिव्यक्ति होते हैं।
(ख) दबाव समूह राजनीतिक मुद्दों पर कोई न कोई पक्ष लेते हैं।
(ग) सभी दबाव समूह राजनीतिक दल होते हैं।
अब नीचे दिए गए विकल्पों में से सही विकल्प चुनें-
उत्तर- क और ख
11. मेवात हरियाणा का सबसे पिछड़ा इलाका है। यह गुड़गाँव और फ़रीदाबाद ज़िले का हिस्सा हुआ करता था। मेवात के लोगों को लगा कि इस इलाके को अगर अलग जिला बना दिया जाय तो इस इलाके पर ज़्यादा ध्यान जाएगा। लेकिन, राजनीतिक दल इस बात में कोई रुचि नहीं ले रहे थे। सन् 1996 में मेवात एजुकेशन एंड सोशल आर्गेनाइजेशन तथा मेवात साक्षरता समिति ने अलग जिला बनाने की माँग उठाई। बाद में सन् 2000 में मेवात विकास सभा की स्थापना हुई। इसने एक के बाद एक कई जन-जागरण अभियान चलाए। इससे बाध्य होकर बड़े दलों यानी कांग्रेस और इंडियन नेशनल लोकदल को इस मुद्दे को अपना समर्थन देना पड़ा। उन्होंने फ़रवरी 2005 में होने वाले विधान सभा के चुनाव से पहले ही कह दिया कि नया जिला बना दिया जाएगा। नया जिला सन् 2005 की जुलाई में बना ।
इस उदाहरण में आपको आंदोलन, राजनीतिक दल और सरकार के बीच क्या रिश्ता नज़र आता है? क्या आप कोई ऐसा उदाहरण दे सकते हैं जो इससे अलग रिश्ता बताता हो ?
उत्तर- आरंभ में चूँके मेवात को अलग जिला बनाने की माँग को किसी संगठन द्वारा नहीं उठाया गया। राजनीतिक दलों ने भी इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई सरकार पर भी इस माँग को मानने के लिए कोई दबाव नहीं था। परंतु जब यह माँग मेवात एजुकेशन एंड सोशल ऑर्गेनाइजेशन तथा मेवात साक्षरता समिति जैसे दबाव समूह द्वारा इसका समर्थन किया गया। इसमें एक आंदोलन का रूप धारण कर लिया, इससे सरकार पर यह माँग मानने के लिए दबाव पड़ा और कुछ ही समय के पश्चात विधानसभा के चुनाव होने से पहले सभी राजनीतिक दल इस माँग का समर्थन करने के लिए मजबूर हो गए हैं। सन् 2005 मैं मेवात को अलग जिला बना दिया गया। नर्मदा बचाओ आंदोलन भी इस प्रकार के आंदोलन का एक उदाहरण है। इस आंदोलन का एक आरंभ नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर डैम के बनाए जाने के कारण उस क्षेत्र के विस्थापित लोगों की माँगों को पूरा कराने के उद्देश्य से किया गया था। मेघा पाटेकर के नेतृत्व में चलाए जा रहे इस आंदोलन का उद्देश्य सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित करना है, कि क्या विकास के लिए इतने बड़े डैम बनाने आवश्यकता है या छोटे डैम से भी काम चलाया जा सकता है। निष्कर्ष के रूप में यह कहा जा सकता है कि जब माँग को एक संगठन द्वारा प्रस्तुत नहीं किया जाता, उसकी ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। जब यह एक आंदोलन का रूप धारण कर लेती है तो राजनीतिक दल तथा सरकार भी उसका समर्थन करने तथा उसे मानने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
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