इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 8 हिंदी के पाठ पाँच ‘हुंडरू का जलप्रपात’ (Hundru Ka Jalprapat class 8th Hindi) के अर्थ को पढ़ेंगे। जिसके लेखक कामता प्रसाद सिंह ‘काम’ जी है।
5, हुंडरू का जलप्रपात
‘हुंडरू का जलप्रपात’ एक यात्रा वृतांत हैं। जिससे लेखक कामता प्रसाद सिंह ‘काम’ जी हैं । इस यात्रा वृतांत में लेखक प्राकृतिक सौंदर्य से सुशोभित हुंडरू के जल प्रपात के बारे में बताते है।
छोटानागपुर प्राकृतिक सौंदर्य का वह स्थल है, जहाँ हरे-भरे खेत हैं तो ऊँची-नीची जमीन जिस पर झाड़ी-झुरमुटों, पेड़-पौधों और लता-गुल्मों के साथ जंगले भी आबाद है। जिन्होने जंगली जानवरों को शरण दिया है साँप की तरह भागती बेहतरीन सड़के हैं। एक ओर धरती पर आदिवासियों के नृत्य एवं मादक गीतों से पहाड़ एवं मैदान गूँज रहे हैं तो दूसरी ओर जानवरों एवं पक्षियों की आवाज से जंगल का कोना-कोना बोलता हुआ प्रतीत होता है।
छोटा नागपुर में कई दर्शनीय झरने हैं। पर उनमें हुंडरू का झरना बहुत ही निराला है। लेखक कहते हैं कि जब भी मैं राँची जाता हुँ तो हुँडरू देखने जरूर जाते हैं । लेखक बताते हैं कि राँची से पुरूलियावाली सड़क पर 14 मील जाने के बाद एक सड़क मिलती है जिससे हुँडरू पहुँचते हैं । पुरूलिया रोड से उसकी दुरी 13 मील है। तथा राँची से हुँडरू 27 मील दुर है ।
महात्मा गाँधी ने कहा है कि साध्य की पवित्रता एवं महत्मा तभी है। जब उसका साधन भी महान हो। महान मंजिल पर पहुँचने के लिए मार्ग भी महान ही चाहिए । जैसे हुंडरू का झरना वैसा ही उसका मार्ग। Hundru Ka Jalprapat class 8th Hindi
महात्मा गाँधी का कहना है कि जितना ही खुबसुरत हुंडरू का झरना है उतना ही खुबसुरत वहाँ तक जाने वाली सड़क है। वहाँ जाने वाली रास्ते में दोनों बगल हरी-भरी खेत जिसमें धान की क्यारी लहती पौधे फल तथा फूलों से भरे हैं । वहाँ के लोग भी बहुत अच्छे हैं । लेखक कहते हैं कि वह मार्ग में ऐसे खड़े रहते हैं जैसे लगता है कि वह स्वागत कर रहे हो।
एक नदी है स्वर्णरेखा-जिसको उदगमस्थान से 50 मील आगे जाकर हुंडरू का झरना है। जिसकी ऊँचाई 243 फुट है। यह झरना प्राकृतिक द्वारा निर्मित बहुत खुबसुरत दिखती यहाँ की जल बहुत ही सफेद दिखती है। लगता है जैसे रूई की गाठ हैं। इस झरना के अगल-बगल का वातावरण बहुत ही मनोहर दिखता है। झरना के पास डिस्ट्रिक्ट बोर्ड की ओर से एक बँगला बनवा दिया गया है। लेकिन वहाँ खाने-पीने के सामान का यहाँ अभी भी अभाव है। समुद्र गंभीरता के लिए प्रसि़द्भ है, तो हुंडरू अपनी चंचलता के चलते मशहूर है।
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