इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 9 हिंदी के पाठ तीन ‘ग्राम गीत का मर्म’ (Gram Geet Ka Marm class 9 Hindi) के सारांश और व्याख्या को पढ़ेंगे।
पाठ – 3
ग्राम गीत का मर्म
लेखक- लक्ष्मीनारायण सुधांशु
जन्म :- 18 जनवरी 1907 ई. में बिहार प्रान्त के पूर्णिया जिला के चंदवा रुपसपुर गाँव में हुआ था।
शिक्षा :- इनकी परंभिक शिक्षा गाँव और शहर दोनों में हुई। उन्होंने कशी हिन्दू विश्वविद्यालय से हिंदी भाषा और साहित्य में एम. ए. किये।
रचनाएँ :- सुधांशु जी अपने छात्र जीवन में ही लेखन कार्य आरम्भ कर दिया था । भ्रतिप्रेम, उपन्यास तथा दो कहानी संकलन ‘ गुलाब की कालिया ‘ एवं ‘रसरंग’ इसी काल में प्रकाशित हो चुके थे। इसके बाद इन्होने आलोचनात्मक ग्रन्थ ‘ काव्य में अभिव्यन्जनावद ‘ तथा ‘जीवन के तत्व और काव्य के सिद्धांत ‘ लिखा। इसके अतिरिक्त इन्होने ‘ वियोग ‘ नामक गध काव्य की भी रचना की ।
पत्रिका :- ‘ अवन्तिका ‘ आदि।
पाठ- 3
ग्राम गीत का मर्म
प्रस्तुत पाठ ‘ग्राम – गीत का मर्म ‘ एक निबंध है जो महान निबंधकार लक्ष्यमिनारायण सुधांशु के द्वारा लिखा गया है इस निबंध में लेखक ग्राम – गीत के रहस्य के बारे में बताया गया है। लेखक कहते है की ग्राम – गीत बहुत ही सुहावन तथा आनंदमय होता है। इस गीत में इतना ज़्यदा सकती होती है। की लोग अपने कठिन कठिन कार्य को करते समय गाते है तो उनको उस कार्य का असर उनके शरीर पर नहीं पड़ता है। बल्कि वह कार्य सरल लगने लगता है जिसे लोग आसानी से कर लेते है।
ग्राम – गीत की कला गीत का अरम्भिक रूप है। ग्राम – गीत एक प्रकार का ऐसा कला है। जो लोगो के क्रम में आधार पर रचा जाता है।गीत का उपयोग जीवन के महत्वपूर्ण समाधान के अरिरिक्त मनोरंजन भी है।,जन्म मुंडन, यगोपवित, विवाह, पर्व त्यौहार आदि के अवसर पर जो गीत गए जाते है। , उनमे उलास और उमंग की ही प्रधानता रहती है पुरुष लोग भी हाल जोतने, नाव खेने,पालकी डोने आदि कामों के समय गीत गाते है। शादी,विवाह आदि में गाया जाता है। Gram Geet Ka Marm class 9 Hindi
ग्राम – गीतों में ऐसे वर्णन बहुत है, जहा नाइका अपने प्रेमी की खोज में बाघ, भालू, सांप आदि से पता पूछती चलती है आदि कवि बाल्मीकि ने विरह विहल राम के मुख से सीता की खोज के लिए ना जाने कितने पशु – पक्षी, पेड़ – पौधे आदि से पता पूछवाया है सीता का पता लगाने के लिए हनुमान को दूत बनाया गया। इसके बाद मेघ दूत,पवन दूत, हंस दूत, भ्रमर दूत आदि कितने दूत प्रेम संभार के लिए आ धमके इसलिए बैज्ञानिक युग में टेलीफ़ोन, टेलीग्राम, रेडिओ आदि को भी दूत बनने की मर्यादा मिलनी चाहिए। कला गीतों में पशु – पक्षी, लता दृम आदि से जो प्रश्न पूछे गए है, उनके उत्तर में वे प्राय: मौन रहे है विरही यज्ञ का मेघदूत भी मौन है रहा है, किन्तु ग्राम – गीत का दूत मौन नहीं रहा है।
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