इस पोस्ट में झारखण्ड बोर्ड कक्षा 10 के सामाजिक विज्ञान इतिहास के पाठ एक यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय (Europe me rashtravad ka uday) के Book Solutions पढ़ेंगे।
पाठ-1
यूरोप में राष्ट्रवाद का उदय
1. निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखेंः-
(क) ज्युसेपे मेत्सिनीः– मेत्सिनी एक महान् दार्शनिक होने के साथ-साथ एक दूरदर्शी राजनेता भी था। अतः उसने जन-संप्रभुता के सिद्धांत पर जोर दिया। ज्युसेपे मेरिसनी इटली के राष्ट्रवाद का मसीहा था। उसने 1831 ई० में ‘यंग इटली सोसाइटी’ की स्थापना की थी। इटली के नवनिर्माण में मेत्सिनी की भूमिका सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण थी। ‘ड्यूटिज ऑफ मैन’ नामक पुस्तक में उसने इटली की जनता के समक्ष राष्ट्र-प्रेम का आदर्श प्रस्तुत किया। उसने एकता, स्वतंत्रता, कल्याण, समानता तथा विश्वास के आधार पर इटली के एकीकरण को बल दिया।
1834 ई० में मेत्सिनी ने ‘यंग यूरोप’ की स्थापना की क्योंकि उसका विश्वास था कि खंडित राष्ट्रों के एकीकरण के बाद ही प्रत्येक राष्ट्र में मानवता का विकास संभव होगा। मेत्सिनी के गणतंत्रवादी विचारों ने इटली के नवनिर्माण का मार्ग प्रशस्त किया।
(ख) काउंट मैकिलो दे कावूरः-इटली के एकीकरण में काउंट मैकिलो दे कावूर का महत्त्वपूर्ण भूमिका है। क्योंकि कावूर के प्रयासों के परिणाम स्वरूप इटली का एकीकरण संभव हो पाया। वह एक महान् देशभक्त विचारक और पत्रकार था। अतः वह इटली की समस्या को अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप देकर यूरोपीय देशों का समर्थन प्राप्त करना चहता था।
विक्टर इमेनुएल ने 1852 ई० में कावूर को सार्डीनिया-पीडमॉण्ड का प्रधानमंत्री बनाया। कावूर यह जानता था कि इटली का एकीकरण इसी राज्य के नेतृत्व में संभव हो सकता है। अतः उसने इसके आंतरिक विकास पर विशेष रूप से ध्यान दिया। उसने आर्थिक उन्नति के लिए व्यापार वाणिज्य कारखानों रेलों सड़कों और नहरों का विस्तार किया।
कावूर इटली के एकीकरण में सबसे बड़ा बाधक आस्ट्रिया को मानता था। अतः कावूर ने अपनी कूटनीतिक चालों के द्वारा इटली की समस्या पर यूरोपीय देशों का ध्यान आकर्षिक किया उसके प्रयास के कारण ही लोंबार्डी, माडेना, परमा, टस्कनी राज्य आदि स्वतंत्र होते गए और सार्डिनिया में मिल गए। 6 जून 1861 ई० को कैवूर की मृत्यु हो गई लेकिन वह अपनी उद्देश्य यानी इटली के एकीकरण में सफल रहा 18 फरवरी, 1861 ई० मे इटली की पार्लियामेंट ने क्क्टिर इमेनुएल को ‘इटली का सम्राट’ घोषित किया।
Europe me rashtravad ka uday
(ग) यूनानी स्वतंत्रता युद्धः- यूनान 15वीं सदी से ही ऑटोमन साम्राज्य के अंतर्गत था। यूरोप में क्रांतिकारी राष्ट्रवाद की प्रगति यूनान के लोंगो में राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ। 1821 ई० में यूनानियों का स्वतंत्रता संग्राम प्रारंभ हुआ। यूनान के राष्ट्रवादी नेताओं को निष्कासित कर दिया गया था। इन नेताओं ने यूरोप के देशों को यूनान की समस्याओं तथा अत्याचारों से अवगत कराया।
यूनानी स्वतंत्रता युद्ध में यूनान को बहुत सारे देशों का समर्थन भी मिल रहा था। जैसे- पश्चिमी यूरोप के फ्रांस, इंग्लैंड और रूस आदि भी यूनान को मदद कर रहे थे। अंग्रेजी कवि लार्ड बायरन ने धन एकत्र किया और बाद में युद्ध में भी शामिल हुए। लेकिन दुर्भाग्यवश 1824 ई० में बुखार से उनकी मृत्यु हो गई। अंत में 1832 ई० में कुस्तुनतुनिया की संधि ने यूनान को एक स्वतंत्र राष्ट्र की मान्यता दी और यूनान का स्वतंत्रता संग्राम पूर्ण हुआ।
(घ) फ्रैंकफर्ट संसदः- जर्मनी में राष्ट्रवादी नेताओं के द्वारा फ्रेंकफर्ट शहर में एक सर्व-जर्मऩ नेशनल किया। यह फ्रेंकफर्ट संसद के नाम से जाना जाता है। इसके सदस्यों का चुनाव वयस्क मताधिकार के द्वारा किया गया था संसद का प्रथम अधिवेशन 18 मई, 1848 में फ्रेंकफर्ट में किया गया। इसमें 831 निर्वाचित प्रतिनिधियों ने भाग लिया। यह संसद सेंट पॉल चर्च में आयोजित हुई। इस अधिवेशन में जर्मन राष्ट्र के लिए एक संविधान का प्रारूप तैयार किया गया।
(ङ) राष्ट्रवादी संघर्षों में महिलाओं की भूमिकाः- उदारवादी आंदोलन के अंतर्गत महिलाओं को राजनीतिक अधिकार प्रदान करने का मुद्दा, विवाद का विषय बन चुका था। राष्ट्रवादी संघर्षों में वर्षों से बड़ी संख्या में महिलाओं ने सक्रिय रूप से भाग लिया था। महिलाओं का अपना राष्ट्रीय संगठन स्थापित हो चुका था।
इसके बावजूद वे राजनीतिक अधिकारों से वंचित थी। उन्हें एसेंबली के चुनाव के दौरान मताधिकारों से वंचित रखा गया था। सेंट पॉल चर्च में जब फ्रेंकफर्ट संसद की सभा आयोजित की गई थी तब महिलाओं को केवल प्रेक्षकों की हैसियत से दर्शक-दीर्धा में खड़े होने की अनुमति दी गई। यह महिलाओं की पहली जीत थी।
(2) फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फ्रांसीसी क्रांतिकारिया ने क्या कदम उठाए़?
उत्तरः- फ्रांसीसी लोगों के बीच सामूहिक पहचान का भाव पैदा करने के लिए फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने निम्नलिखित कदम उठाए।
(1) एक नया फ्रांसीसी झंडा- तिरंगा चुना गया जिसने पहले के राजध्वज की जगह ले ली।
(2) क्षेत्रीय बोलियों के स्थान पर पेरिस की फ्रेंच भाषा ही राष्ट्र-भाषा के रूप में स्थापित हुई।
(3) इस्टेट जेनरल का चुनाव सक्रिय नागरिकों के समूह द्वारा किया जाने लगा और उसका नाम बदल कर नेशनल एसेंबली कर दिया गया।
(4) पितृभूमि और नागरिक जैसे विचारों ने एक संयुक्त समुदाय के विचार पर बल दिया जिसे एक संविधान के अंतर्गत समान अधिकार प्राप्त थे।
(5) एक केंद्रिय प्रशासनिक व्यवस्था लागु की गई जिसने अपने भू-भाग में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून बनाए।
(3) मारीआन और जर्मेनिया कौन थे? जिस तरह उन्हें चित्रित किया गया उसका क्या महत्त्व था?
उत्तरः- मारीआन और जर्मेनिया एक नारी की मूर्ति अर्थात् प्रतिमा को ही नाम देकर राष्ट्र का छवि प्रदान किया गया। यानी नारी की छवि राष्ट्र का रूपक बन गई।
मारीआनः- फ्रांसीसी क्रांति के दौरान कलाकारों ने स्वतंत्रता, न्याय और गणतंत्र जैसे विचारों को व्यक्त करने के लिए नारी रूपक का प्रयोग किया। इन आदर्शों को विशेष वस्तुओं या प्रतीकों से व्यक्त किया गया था। स्वतंत्रता का प्रतीक लाल टोपी या टूटी जंजीर है और इंसाफ को आमतौर पर एक ऐसी महिला के प्रतीकारत्मक रूप से व्यक्त किया जाता है जिसकी आँखों पर पट्टी बँधी हुई है और वह तराजू लिए हुए है। Europe me rashtravad ka uday
इसी प्रकार के नारी रूपकों का आविष्कार कलाकारों ने उन्नीसवीं सदी में किया। फ्रांस में उसे लोकप्रिय ईसाई नाम मारीआन दिया गया। जिसने जन-राष्ट्र के विचार को रेखांकित किया। उसके चिह्न भी स्वतंत्रता और गणतंत्र के थे-लाल टोपी, तिरंगा और कलगी। मारीआन की प्रतिमाएँ सार्वजनिक चौकों पर लगाई गई ताकि जानता को एकता के राष्ट्रीय प्रतीक की याद आती रहे और लोग उससे तादात्म्य स्थापित कर सके। मारीआन की छवि सिक्कों और डाक टिकटों पर अंकित की गई।
जर्मेनियाः- इसी तरह जर्मेनिया, जर्मन राष्ट्र का रूपक बन गई। चाक्षुष अभिव्यक्तियों में जर्मेनिया बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहनती है क्योंकि जर्मन बलूत वीरता का प्रतीक है।
(4) जर्मनी एकीकरण की प्रक्रिया का संक्षेप में पता लगाएँ।
उत्तरः- जर्मनी एकीकरण की प्रक्रिया का संक्षेप मे पता निम्नलिखित हैं।
(1) जर्मन लोगों में 1848 ई० के पहले ही राष्ट्रीयता की भावना मध्यमवर्गीय जर्मन लोगों में बहुत अधिक थी।
(2) 1848 में जर्मन महासंघ के विभिन्न इलाकों को जोड़कर एक निर्वाचित संसद द्वारा शासित राष्ट्र-राज्य बनाने का प्रयास किया गया था।
(3) राष्ट्र-निर्माण की इस उदारवादी विचारधाराओं को राजशाही और फौजी ताकतों के विरूद्ध कड़ी चुनौती का सामना कराना पड़ा।
(4) प्रशा का प्रधानमंत्री ऑटो वॉन विस्मार्क इस प्रक्रिया का जनक था जिसने प्रशा की सेना और नौकरशाही की मदद ली।
(5) सात वर्ष में आस्ट्रिया, डेन्मार्क और फ्रांस से तीन युद्धों मे प्रशा की जीत हुई। इस तरह जर्मनी के एकीकरण प्रक्रिया पूरी हुई।
(6) 18 जनवरी 1871 में वर्साय में प्रशा के राजा काइजर विलियम प्रथम को जर्मनी का सम्राट घोषित किया गया।
- अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने क्या बदलाव किए।
उत्तरः- अपने शासन वाले क्षेत्रों में शासन व्यवस्था को ज्यादा कुशल बनाने के लिए नेपोलियन ने निम्नलिखित बदलाव किए।
(1) नेपोलियन ने फ्रांस में प्रचलित कानूनों का संग्रह करके एक ग्रंथ का संकलन किया। जिसे ‘नेपोलियन कोड’ कहते हैं। इसमें विभिन्न कानूनों को संग्रहीत किया गया।
(2) आर्थिक क्षेत्र में सुधार के उद्देश्य से ‘बैंक ऑफ फ्रांस’ की स्थापना की।
(3) नेपोलियन का दंड विधान बहुत कठोर था। जूरी प्रथा और मुद्रित पत्रों को पुनः प्रारंभ किया।
(4) सामाजिक समानता की स्थापना के द्वारा उच्च और निम्न वर्ग के भेद को समाप्त कर दिया।
(5) प्रतिष्ठा-मंडल की स्थापना के द्वारा विद्वानों, कलाकारों और देशभक्तों को सम्मानित करना प्रारंभ किया।
(6) शिक्षा के विकास के लिए पेरिस में की स्थापना की जिसमें लैटिन, फ्रैंच, साधारण विज्ञान तथा गणित इत्यादि की शिक्षा दी जाने लगी।
Europe me rashtravad ka uday
चर्चा करें।
- उदार वादियों की 1848 की क्रांति का क्या अर्थ लगाया जाता है़? उदारवादियों ने किन राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विचारों को बढ़ावा दिया?
उत्तरः- उदारवादियों की 1848 क्रांति का निम्नलिखित अर्थ लगाया जाता है। तथा उदारवादियों ने निम्नलिखित राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक विचारों को बढ़ावा दिया।
1848 में खाद्य सामग्री का अभाव तथा बेरोजगारी की बढ़ती हुई समस्या के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चुका था। इस संकट के समाधान के लिए उदारवादियों ने जन असंतोष का फायदा उठाया और एक राष्ट्र-राज्य के निर्माण की माँगों को आगे बढ़ाया। यह राष्ट्र-राज्य संविधान, प्रेस की स्वतंत्रता और संगठन बनाने की स्वतंत्रता जैसे संसदीय सिद्धातों पर आधारित था। उदारवादी आंदोलन के अंदर महिलाओं को राजनीतिक अधिकार प्रदान करने की माँग बढ़ने लगी।
सार्वजनिक मताधिकार पर अधारित जन प्रतिनिधि सभाओं के निर्माण की माँग बढ़ने लगी। इटली, पोलैंड, जर्मनी, आस्ट्रिया, हंगरी आदी साम्राज्यों के उदारवादी मध्य वर्ग के स्त्री-पुरूष ने संविधानवाद की माँग को राष्ट्रीय एकीकरण की माँग से जोड़ दिया। भू-दास और बंधुआ मजदूरी को समाप्त करने की माँग उदारवादी नेताओं द्वारा होने लगी।
- यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति के योगदान को दर्शाने के लिए तीन उदाहरण दें।
उत्तरः- यूरोप में राष्ट्रवाद के विकास में संस्कृति के योगदान को दर्शाने के लिए तीन उदाहरण निम्नलिखित है।
(1) यूजीन देलाक्रोआ की द मसैंकर ऐंट किऑसः- फ्रांसीसी चित्रकार देलाक्रोआ सबसे महत्त्वपूर्ण फ्रेंच रूमानी चित्रकारों में से एक था। यह विशाल चित्र एक घटना को चित्रित करता है जिसमें किऑस द्वीप पर कहा जाता है कि तुर्को ने बीस हजार यूनानियों को मार डाला। देलाक्रोआ ने अपने चित्र के द्वारा महिलाओं और बच्चों की पीड़ा को केंन्द्र बिंदु बनाते हुए चटख रंगों का प्रयोग करके देखने वालों की भावनाएँ उभार करके यूनानियों के लिए सहानुभूति जगाने की कोशिश की।
(2) फ्रेडरिक सॉरयू का युटोपियाः- 1848 में फ्रांसीसी कलाकार फ्रेड्रिक सॉरयू ने चार चित्रों की एक श्रृंखला बनाई। इसमें विश्वव्यापी प्रजातंत्रिक और सामाजिक गणराज्यों के स्वप्न की अभिव्यक्ति की गई थी। Europe me rashtravad ka uday
(3) कार्ल कैस्पर फ्रिट्ज का स्वतंत्रता के वृक्ष का रोपणः-जर्मन चित्रकार कार्ल कैस्पर फ्रिट्ज द्वारा बनाए गए इस रंगीन चित्र का विषय फ्रेंच सेनाओं द्वारा ज्वेब्रकेन शहर पर कब्जा है। अपनी नीली, सफेद और लाल पोशाकों से पहचाने जाने वाले फ्रांसीसी सैनिकों दमनकारियों के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
इस प्रकार राष्ट्रवाद का विकास करने में संस्कृति ने अहम भूमिका निभाई।
- किन्हीं दो देशों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बताएँ कि उन्नीसवीं सदी में राष्ट्र किस प्रकार विकसित हुए?
उत्तरः- उन्नीसवीं सदी में राष्ट्र निम्नलिखित प्रकार से विकसित हुए।
(1) इटलीः- 19वीं शताब्दी के मध्य में इटली सात राज्यों में बाँटा हुआ था जिनमें से केवल एक सार्डिनिया पीडमॉण्ड में एक इतावली घराने का शासन था। उत्तरी भाग ऑस्ट्रिया के हैब्सवर्गो के अधीन था, मध्य इलाकों पर पोप का शासन था और दक्षिणी क्षेत्र स्पेन के बूर्बो राजाओं के अधीन थे। इतावली भाषा ने भी साझा रूप हासिल नहीं किया था। यह अभी तक अपने विविध क्षेत्रीय और स्थानीय रूप में मौजुद था। 1830 के दशक में ज्यूसेपे मेत्सिनी ने एकीकृत इतावली गणराज्य के लिए कार्यक्रम बनाया और यंग इटली नामक एक गुप्त संगठन की स्थापना की। 1831 और 1848 में क्रांतिकारी विद्रोहों की असफलता से युद्ध के द्वारा इतावली राज्यों को संगठित करने का दायित्व सार्डीनिया-पीडमॉण्ड के शासक विक्टर इमेनुएल द्वितीय पर आ गया। प्रमुख मंत्री कावूर जिसने इटली के प्रदेशो के एकीकृत करने वाले आंदोलन का नेतृत्व किया था। वह इतालवी भाषा से अधिक बेहतर फ्रेंच बोलता था। उसने फ्रांस और सार्डीनिया-पीडमाट के बीच कूटनीतिक संधि कराई।
1861 में इमेनुएल द्वितीय को एकीकृत इटली का राजा घोषित किया गया इस प्रकार इटली का एकीकरण फ्रांस-प्रशा युद्ध के बाद 1870 ई० में पूर्ण हुआ।
(2) जर्मनी:- जर्मनी में राष्ट्रीवादी भावनाएँ मध्यवर्ग के लोगो में अधिक थी उन्होने 1848 ई० में जर्मन महासंघ के विभिन्न इलाकों को जोड़कर एक निर्वाचित संसद द्वारा शासित राष्ट्र राज्य बनाने का प्रयास किया था परंतु राष्ट्रवादियों की यह पहल सेना द्वारा दबा दी गई इसके बाद प्रशा ने राष्ट्रीय एकीकरण के आंदोलन का नेतृत्व किया। इस प्रक्रिया की शुरूआत प्रशा के मुख्यमंत्री ऑटो वान विस्मार्क द्वारा मानी गई। इस आंदोलन को सफल बनाने के लिए उसने प्रशा की सेना और नौकरशाही की मदद ली। प्रशा ने सात वर्षो में आस्ट्रिया, डेनमार्क और फ्रांस से तीनों युद्ध में जीत हासिल की और एकीकरण की प्रक्रिया को पूरा किया। जनवरी 1871 में वर्षिय में होने वाले समारोह में प्रशा के राजा विलिय प्रथम को जर्मनी का सम्राट घोषित किया गया और इन जर्मनी राज्य में नई मुद्रा बैंकिग और न्यायिक व्यवस्था लागू की गई।
(4) ब्रिटेन मे राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप की तुलना में किस प्रकार भिन्न था।
उत्तर- ब्रिटेन में राष्ट्रवाद का इतिहास शेष यूरोप की तुलना में निम्नलिखित प्रकार से भिन्न था।
(1) एक लंबे संघर्ष के बाद 1688 में राजतंत्र की समस्त शक्ति आंग्ल संसद के हाथों में आ गई थी। संसद के माध्यम से एक राष्ट्र का निर्माण हुआ जिसके केंद्र में इंग्लैड था।
(2) इंग्लैड और स्कॉटलैंड के बीच एक्ट ऑफ यूनियन 1707 ई० में आया और इसके बाद यूनाइटेड किंग्डम ऑफ ग्रेट ब्रिटेन का गठन हुआ। इससे इंग्लैड का स्कॉट लैंड पर प्रभुत्व व्यवहारिक रूप से स्थापित हो गया।
(3) 1798 में वोल्फ टोन और उसकी यूनाइटेड आयरिशमेन के नेतृत्व में विद्रोह असफल रहा।
1801 ई० में आयरलैंड को बलपूर्वक यूनाइटेल किंगडम में शामिल कर लिया गया।
(4) एक नए ब्रितानी राष्ट्र का निर्माण किया गया और आंग्ल संस्कृति का प्रचार और प्रसार किया गया। नए ब्रिटेन के प्रतीक चिह्नो में ब्रिटेन का झंडा (यूनिक जैक) और राष्ट्रीय गान (गॉड से आवर नोबल किंग) को सम्मान दिया गया।
(5) 18वीं शताब्दी के पहले ब्रितानी राष्ट्र नहीं था। ब्रितानी द्वीप समूह में रहने वाले लोगों, अंग्रेज, वेल्श, स्कॉट या आयरिश की मुख्य पहचान नृजातीय थी। इन सभी जातीय समूहों की अपनी सांस्कृतिक और राजनीतिक परंपराएँ थी।
प्रश्न (5) बाल्कन प्रदेशों में राष्ट्रवादी तनाव क्यों पनपा ?
उत्तरः- बाल्कन प्रदेशों में राष्ट्रवादी तनाव निम्नलिखित कारण थे।
(1) बाल्कन-राज्यों में आपसी प्रतिस्पर्धा हथियारों की होड़ लग गई। इससे परिस्थिति गंभीर और जटिल हो गई।
(2) 19वीं शताब्दी में ऑटोमन साम्राज्य ने आधुनिकीकरण और आंतरिक सुधारों के द्वारा स्थिति में परिवर्तन लाने की कोशिश की। लेकिन कोई विशेष सफलता नहीं मिल पायी। Europe me rashtravad ka uday
(3) यूरोपीय शक्तियों के बीच व्यापार और उपनिवेशों के साथ नौ सैनिक और सैन्य ताकतों के लिए गहरी प्रतिस्पर्धा थी। रूस, जर्मनी, इंग्लैंड, ऑस्ट्रीया-हंगरी आदि बाल्कन क्षेत्र पर अपना प्रभाव स्थापित करने का प्रयास करने लगे। जिसके परिणाम स्वरूप कई युद्ध हुए और अंत में प्रथम विश्व युद्ध जैसे परिणाम का सामना करना पड़ा।
(4) जैसे-जैसे विभिन्न स्लाव राष्ट्रीय समूहों में स्वतंत्रता एवं राष्ट्रवाद का विकास हुआ, वैसे-वैसे बाल्कन क्षेत्र में तनाव बढ़ता गया। Europe me rashtravad ka uday
Read class 10th Social science – Click here
Watch video – Click here
Leave a Reply