इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 8 हिंदी के पाठ दो ‘ईदगाह’ (Eidgah class 8th Hindi) के अर्थ को पढ़ेंगे। जिसके लेखक प्रेमचंद्र है।
2. ईदगाह
पाठ का सारांश – प्रस्तुत कहानी ’ईदगाह‘ प्रेमचन्द्र की सभी कहानियों में से यह कहानी बहुत ही रोचक है। इस कहानी के लेखक प्रेमचन्द्र जी है। इस कहानी में लेखक ईदगाह के दिन के सुनहरे माहौल का व्याख्या किए है। ईदगाह के दिन तो सबके लिए प्रसन्नता का दिन होता हैं। पर इस दिन सबसे ज्यादा छोटे-छोटे बच्चे खुश रहते हैं। इस कहानी के प्रमुख पात्र एक छोटा सा लड़का हामिद है। जिसके माँ और बाप मर चुके है। वह अपनी बुढ़ी दादी अमीना के साथ रहता हैं। हामिद अपनी प्रस्थितियों के कारण बच्चा होते हुए भी एक वस्यक की तरह सोंचता है।
रमजान के पूरे तीस दिन के बाद ईद आया हैं। सभी लोग मेला जाने की तैयारी में जुटे हैं। सभी लोगों में सबसे ज्यादा खुश बच्चे लोग हैं। क्योंकि उनके जेब में आज बहुत सारे पैसे भरे हैं। मोहसिन के पास पंद्रह पैसे हैं। तथा महमूद के पास बारह पैसे थे इससे तो अनेक चीजे खरीद सकते हैं। खिलौना, मिठाइयाँ, बिगुल, गेंद और ना जाने क्या-क्या। सबसे ज्यादा खुश हामिद है। जो अपनी बुढ़ी दादी अमीना के साथ रहता है। उसके पास मात्र तीन पैसे होते है। Eidgah class 8th Hindi
सभी लोग मेला जाते है तथा रोजा रखने वाले सभी व्यक्ति एक कतार में खड़े होकर नमाज पढ़ते हैं। तथा गले मिलते हैं रोजा खतम होने पर मेला मे लोग समान खरिदने लगते हैं। बच्चे लोग मिठाईयाँ खिलौने आदि खरिदते हैं जैसे महमूद सिपाही लेता है, खाकी वर्दी और लालपगड़ी वाला, कंधे पर बंदूक रखे हुए मोहसिन को भिरती पसंद आया। कमर पर मशक रखे। नूर को वकील से प्रेम है। काला चोंगा, नीचे सफेद अचकन, एक हाथ में कानून का पोथा लिए हुए। लेकिन छोटा सा बालक हामिद मेला में मिठाईयाँ खिलौना अनेको प्रकार के चिजे होते हुए भी इसमें से वह अपने लिए कुछ नहीं लेता है। अपनी दादी माँ के लिए चिमटा खरिदता है।
जब हामिद मेला से घर लौटता है। तो चिमटा देख कर दादी माँ कुछ समय के लिए क्रोधित हो जाती है। पर बाद में वह हामिद की रहन-सहन और विवेक को देखते हुए बहुत प्रसन्न हो जाती है। तथा उसको गले से लगा कर बहुत सारे दुआएँ देती है। Eidgah class 8th Hindi
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