इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 8 हिंदी के पाठ पंद्रह ‘दीनबन्धु ‘निराला’’ (Dinbandhu Nirala class 8 Hindi) के सारांश और व्याख्या को पढ़ेंगे। जिसके लेखक शिवपूजन सहाय है।
15 दीनबन्धु ‘निराला’
प्रस्तुत पाठ दीनबन्धु ‘निराला’ एक निबंध है। जिसके लेखक आचार्य शिवपूजन सहाय है। लेखक इस निबंध में आधुनिक काल के बेहद प्रतिष्ठित कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला पर लिखी गई यह जीवनी एक संवेदनशील साहित्यकार के सरोकारों और संघर्षो को प्रकर करती है। निराला के व्यक्तित्व और जीवन के अनेक पहलुओं का उद्घाटन करना इस पाठ का उद्देश्य हैं।
लेखक कहते है कि महाकवि रहीम के प्रसिद्भ दोहे की यह एक पक्ति (‘जो) रहीम दीनहिं लखै, दीनबन्धु सम होया। महाकवि निराला पर सटीक बैठती है। निराला जी दिन-दुःखीओं की सेवा करते-करते उन्ही के समान हो गए थे। वह खुद की जरूरतों आदि के बारे में कुछ नही सोचते थें और नही वह अपने लिए कुछ करते ही थे। वह हर पल दूसरों को सुखी रखने के बारे में सोचते थे वह अपना प्राण से भी ज्यादा लोगो की सेवा करते थे। वह अपना सारा जीवन लोगों की सेवा में सर्म्पण कर दिए थे। Dinbandhu Nirala class 8 Hindi
सबसे पहले वह श्रीराम कृष्ण मिशन की सेवा करते थे। परमहंस श्रीराम कृष्ण देव के वेलूर-मठ में प्रतिवर्ष परमहंस जी और स्वामी विवेकानंद जी की जयन्तियों तथा पुण्य स्मृति तिथियों पर दरिद्रनारायण यानी (गरीब लोंगो की) विधिवत् भोजन कराया जाता था। वहाँ मिशन की शाखा ‘विवेकानन्द-सोसायटी’ के विद्वान संन्यासियों के साथ ‘समन्वय’ सम्पादक में निराला जी भी जाया करते थे। उस विराट आयोजन के कार्य-क्रमों में निराला केवल गरीब लोगों को खिलाने वाला कार्य ही करते थे। गरीबों के प्रति उनकी सेवा को देखकर लोभ चकित रह जाते थे। निराला जी मातृभाषा की तरह बंगला भाषा बोल लेते थे वह वहाँ के लोगो मे घुल-मिल गए थे। सभी लोगों के लिए वह प्रिय बन गए थे।
निराला जी के आकर्षक रूप लम्बे-तगड़े डील-डौल का शरीर व्यायाम के अभ्यास से सुगठित स्वास्थ्य, विलक्षण मेघाशक्ति, ललित मनहर कण्ठ, कुरूणा से भरा हुआँ हृदय चिन्तनशील मस्तिष्क, कल्पना शक्ति सम्पन बु़द्भ सबकुछ भगवान् ने उन्हें भरपूर दिया था। बड़ी-बड़ी सुहावनी लुभावनी आँखे दमकती दाड़िम -दसनावली घुँघराली बालों का समूह, छोटा, मुख, पतले-पतले अधर, पतली-पतली बाँकी अँगुलियाँ, प्रशस्त वक्षस्थल, हर तरह से ईश्वर ने उन्हें सँवारा था। निराला जी जिस मण्डली में बैठ जाते थे उसे अपने व्यक्तिव से जगमगा देते थे।
निराला जी एक गृहस्य होकर भी एक सन्यासी के भाँति अपना जिंदगी बिताते थे। उनके त्याग और संघर्ष और गरीब लोगों के प्रति उनके स्वभाव के कारण ही वह आज पूरे संसार में प्रसिद्भ है। तथा सभी लोगों के मन में उनके आदर की भावना है।
Dinbandhu Nirala class 8 Hindi
Read class 8th Hindi – Click here
Watch video – Click here
Leave a Reply