इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 8 हिंदी के पाठ तेरह ‘दीदी की डायरी’ (Didi Ki Dayri class 8th Hindi) के सारांश और व्याख्या को पढ़ेंगे।
13 दीदी की डायरी
प्रस्तुत पाठ ‘दीदी की डायरी’ एक डायरी है। जिसके रचनाकार संकलित जी है। डायरी हिन्दी गद्य की नई विद्या है जिसमें व्यक्ति अपने जीवन के अनुभवों कार्यो आदि के बारे में लिखता है।
गुलाब के फूल-सी नन्हीं संजू कक्षा आठ में पढ़ती थी। वह बहुत चंचल लड़की थी। उसे किताब पढ़ने का भी बहुत शौक था। एक-बार उसने गाँधी साहित्य पढ़ा। उसमें ‘बापू के सत्य के प्रयोग’ बहुत पसंद आया। वह भी डायरी लिखना चाहती थी और उसे समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे लिखें तो वह अपनी बड़ी बहन से पूछी उसने उसे कहा की तुम रात में ठीक से बैठ जाओं। और दिन भर की सारी घटनाओं की याद करो और उसे लिख लो। यहीं कार्य-कार्य रोज करो उसी को डायरी लिखना कहा जाता है। लेकिन वह नहीं मानी वह अपनी दीदी से अपनी डायरी दिखाने को बोली दीदी अपनी डायरी दे दी जिसमें निम्नलिखित बाते लिखी थी।
1 जनवरी 97 को कॉलेज में कक्षा के सामने पत्थर तराशने एवं उस पर छेनी से फूल-पत्तियाँ उकेरने का वर्णन है।
2 जनवरी 97 को दीदी जब अपनी सहेली शीला के घर गई तो उस समय वह स्नान घर में थी। इसलिए दीदी पत्रिका पढ़ने लगी, उसमे एक मजेदार चुटकुला था। दीदी ने अपनी डायरी में उस चुटकुला को लिख लिया।
3 जनवरी 97 को दीदी अन्य सखियों के साथ पिकनिक मनाने जहाँ गई, वह स्थान हरे-भरे वृक्षो से घिरा था। चारो ओर शांत तथा सुहावना वातावरण था। सबने नरम-नरम घास पर बैठकर गुनगुनी धूप में नाच-गाना के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के खेलो का आनंद लिया।
4 जनवरी 97 रविवार का दिन था। कहीं जाना-आना तो था नहीं, इसलिए सबेरे चाय-नाश्ता किया, फिर चाय पीकर तोतोजान नामक जापानी लड़की की कहानी पढ़ने बैठ गई। वह मनमौजी लड़की थी जिसे अपनी शरारत के कारण कई स्कूल बदलने पड़े, लेकिन रेल के छ; डब्बों में चल रहे स्कूल ने उस लड़की का जीवन बदल दीया इस कहानी को पढ़कर दीदी को भी पढ़ाई में पूर्ण आजादी की जरूरत महसूस हुई।
5 जनवरी 97 का दिन उदासी में इसलिए बीता, क्योंकि दीदी की सहेली नीलू की शादी होने वाली थी। शादी के कुछ दिनों बाद वह ससुराल चली जाएगी। इसलिए उसकी पढ़ाई बन्द कर दी गई। लड़की का जीवन कितना दयनीय होता है, यही सोचकर दीदी उदास रही, क्योंकि नीलू पढ़ने में बहुत अच्छी थी। यदि उसे अवसर मिलता तो वह बहुत कुछ कर दिखाती, परन्तु शादी के बंधन में जकड़ कर उसकी पढ़ने की इच्छा का गला घोंट दिया गया। नीलू के साथ हो रहे इस क्रूरव्यहार ने दीदी के दिल में विद्रोह की आग भड़का दी। इसी विदोहात्मक भावना से प्रेरित होकर मैं तो यह स्थिति कदापी अर्थात शादी का प्रस्ताव को ठुकरा देती। Didi Ki Dayri class 8th Hindi
6 जनवरी 97 को जब स्कूल जाने लगी तो किसी ने छींक दी। इसलिए माँ ने स्कूल न आने की सलाह दी, किंतु कक्षा में अभिनय का प्रोग्राम था, जिसमें दीदी प्रमुख पात्र थी। ‘जो होगा, सो हो जाएगा’ मानकर चल पड़ी, सभी ने मुक्त कंठ से मेरे अभिनय को सराल, खूब तालियाँ बजी और पुरस्कार भी मिला। इससे यह सीख मिली कि सच्चे दिल से कर्म करने वाले आनेवाली बाधाओं की चिन्ता नहीं करते।
7 जनवरी 97 को दीदी लड़कियों के साथ हो रही उपेक्षा की बात सोचकर दु;खी रही कि जब एक ही गर्भ से बेटा-बेटी दोनो पैदा होते हैं फिर बेटा के समझ बेटी का मूल्य कम क्यों ? यह बात समाज की ही भावना को उजागर करती है। Didi Ki Dayri class 8th Hindi
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