इस पोस्ट में झारखण्ड बोर्ड कक्षा 10 के सामाजिक विज्ञान भूगोल के पाठ चार कृषि (Class 10th Geography Chapter 4 Krishi) के हल को पढ़ेंगे।
पाठ: 4
कृषि
प्रश्न 1. बहुवैकल्पिक प्रश्न :-
1. निम्नलिखित में से कौन-सा इस कृषि प्रणाली को दर्शाता है जिसमें एक ही फसल लबें-चौड़े क्षेत्र में उगाई जाती है।
(क) स्थानांतरी कृषि
(ख) बागवानी
(ग) रोपण कृषि
(घ) गहन कृषि
उत्तर- रोपण कृषि
2. इनमें से कौन-सी एक फलीदार फसल है।
(क) चावल
(ख) चना
(ग) मोटे अनाज
(घ) कपास
उत्तर- चना
3. इनमें से कौन-सी एक फलीदार फसल है ।
(क) दालें
(ख) ज्वार तिल
(ग) मोटे अनाज
(घ) तिल
उत्तर- दालें
Geography Chapter 4 Krishi Solutions
प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए ।
1. एक पेय फसल का नाम बताएँ तथा उसको उगाने के लिए अनुकूल भौगोलिक परिस्थितियों का विवरण दें ।
उत्तर- एक पेय फसल का नाम तथा उगाने के लिए अनुकूल भौगोलिक परिस्थिातियों का विवरण निम्नलिखित है।
चाय एक महत्त्वपूर्ण पेय पदार्थ की फसल है। चाय की खेती रोपण कृषि का एक उदाहरण है । चाय का पौधे उष्ण और उपोष्ण कटिबंधीय जलबायु हतुमस और जीवांश युक्त गहरी मिट्टी तथा सुगम जल निकास वाले ढलऊँ क्षेत्रों में भलीभाँति उगाया जाता है। चाय की झाड़ीयों को उगाने के लिए वर्ष भर कोष्ण, नम और पालाररित जलवायु की आवश्यकता होती है । वर्ष भर समान रूप से होने वाली वर्षा की लौछारें इसकी कोमल पन्तियों के विकास में सहायक होती है। चाय एक श्रम-सघन उद्योग है । इसकी ताजकी बनाए रखने के लिए चाय की पन्तियाँ बागान में ही संसोधित की जाती है । चाय के मुख्य उत्पादक क्षेत्रों में असम, पश्चिमी बंगाल में दार्जिलिंग और जलपाईगुड़ी जिलों की पहाड़ीयाँ, जमिलनाडु और केरल आदि है ।
2. भारत की एक खाद्य फसल का नाम बताएँ और जहाँ यह पैदा की जाती है उन क्षेत्रों का विवरण दें ।
उत्तर- भारत की एक खाद्य फसल का नाम बताएँ जहाँ यह पैदा की जाती है उन क्षेत्रों का विवरण निम्नलिखित है ।
भारत में अधिकांश लोगों का खाद्यान चावल है । हमारा देश चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है । यह एक खरीफ की फसल है जिसे उगाने के लिए उच्चा तापमान और अधिक आर्द्रता (100 सेमी॰ से अधिक वर्षा) की आवश्यकता होती है । कम वर्षा चावल उत्तर और उत्तर-पूर्वी मैदानों तटीय क्षेत्रों और डेल्टाई प्रदेशों में उगाया जाता है । नहरों के जाल और नलकूपों की सधनता के कारण पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ कम वर्षा वाले क्षेत्रों में चावल की फसल उगाना संभव हो पाया है ।
3.सरकार द्वारा किसानों के हित में किए गए संस्थागत सुधार कार्यक्रमों की सूची बनाएँ ।
उत्तर- (क) सरकार द्वारा किसानों के हित में किए गए संस्थागत सुधारों तथा कार्यक्रमों की सूची निम्नलिखित है ।
1960 और 1970 के दशक में भारत सरकार ने कई प्रकार के कृषि सुधारों की शुरूआत की । पैकेज टेक्नोलॉजी पर आधाररित हरित क्रांति तथा श्वेत क्रांति (ऑपरेशन फ्लड) जैसी कृषि सुधार के लिए कुछ रणनीतियाँ आरंभ की गई थी । परंतु इसके कारण विकास कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित रह गया ।
1980 तथा 1990 के दशकों में व्यापक भूमि विकास कार्यक्रम शुद्ध किया गया जो संस्थातग और तकनीकी सुधारों पर आधारित था । इस दिशा में उठाए गए कुछ महत्त्वपूर्ण कदमों में सूखा, बाढ़, चक्रवात, आग तथा बीमारी के लिए को कम दर पर ऋण सुविधाएँ प्रदान करने के लिए ग्रामीण बैंको, सहकारी समितियों और बैंको की स्थापना सम्मिलित थे । किसानों ने लाभ के लिए भारत सरकार ने ‘किसान क्रेडिट कार्ड और व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना (पीए आई एस) भी शुरू की है । दिन-प्रतिदिन कृषि के अंतर्गत भूमि कम हो रही है । इसके परिणामों की कल्पना निम्नलिखित है ।
पुश्तैनी अधिकार :- पुश्तैनी अधिकार के कारण यह भूमि छोटे-छोटे टुकड़ों में बँटती जा रही है ।
जनसंख्या :- जनसंख्या तेजी से बढ़ने के कारण सारी वस्तुओं का प्रयोग अधिक मात्रा में हो रहा है । मानव अपने निवास के लिए कुषि करने वाली भूमि पर अधिक मात्रा में घर बना रहे हैं । जिसके कारण कृषि युक्त भूमि कम पड़ती जा रही है ।
फैक्टरी :- फैक्ट्री के निर्माण करने के कारण भी बहुत अधिक में भूमि का उपयोग किया जा रहा है । इसके वजह से भी भूमि खेती करने के लिए सीमिट पड़ती जा रही है ।
रेल-लाईन :- रेल-लाईन के कारण भी मानव कृषि युक्त भूमि को बर्बाद कर रहे हैं ।
Geography Chapter 4 Krishi Solutions
1.कृषि उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपाय सुझाइए ।
उत्तर- कृषि उत्पादन में वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपाय निम्नलिखित है ।
भारत एक कृषि प्रधान देश है जहाँ 60 प्रतिशत से अधिक लोग कृषि पर निर्भर रहते हैं ।
सिंचाई के साधनों का विस्तार :- प्रत्येक खेत को समय पर प्रर्याप्त पानी मिले इसके लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं । नहरों कुआएँ, तालाबों की वृद्धि की गई हैं । नदियों पर बाँध बाँधकर कृत्रिम जलाश्य बनाकर नहरों द्वारा खेतों तक पानी पहुँचाया जा रहा है । सिंचाई सुविधा बढ़ाने के लिए किसानों को ऋण की सुविधा भी प्रदान की गई है ।
भारतीय खाद्य निगम की स्थापना :- किसानों को कृषि उपजों का उचित मूल्य सीधे और समय पर मिले इसके लिए कृषि उपजों की खरीद का दायित्व सरकारों ने ले लिया है । इसके लिए भारतीय खाद्य निगम की स्थापना की गई है ।
कुषि उपकरणों का विकास :- पैदावार बढ़ाने में कृषि उपकरणों का भी बड़ा भारी योगदान है । इनसे न केवल उपज बढ़ती है, बल्कि जुताई, बुवाई, निराई, कीटनाशकों और उर्वरकों के छिड़काव, सिंचाई, जल फुहार सिंचाई, कटाई, गहाई, परिवहन तथा भंडारण में लगने वाले समय में काफी बचत होती है । भारतीय किसान टैक्टरों, हारवेस्टरों कंबाइनों, जल पंपो तथा स्पिलरों का खूब प्रयोग करने लगे हैं ।
कृषि शिक्षा का प्रचार व प्रसार :- स्कूल , कॉलेज, विश्वविद्यालय स्तर की कृषि संबंधी शिक्षा का देश के विभिन्न भागों में विस्तार किया गया है । कृषि प्रदर्शनियों रेडियों, दुरदर्शन के द्वारा किसानों को उन्नत बीजों, कीटनाशक दवाओं, नवीन कृषि यंत्रों, मृदा आदि की जानकारी दी जाती है ।
फसलों को बर्बादी से रोकना :- कीड़ों नाशक जीव, फफूँदी तथा खरपतवार से फसलों को बचाने के लिए अब कीटनाशक, नाशकार फफूँदीनाशी तथा खरपतवार नाशक दइवायों को उपलब्ध कराकर फसलों को बचाया जाने लगा है ।
2. भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण के प्रभाव पर टिप्पणी लिखें ।
उत्तर- भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण के प्रभाव पर टिप्पणी निम्नलिखित है ।
वैश्वीकरण की स्थिति उपनिवेशिक काल में भी मौजूद थी । उन्नीसवी शताब्दी में यूरोपीय जब भारत आए उस समय भारतीय मसालें विश्व के विभिन्न देशों में निर्यात किए जाते थे । तथा दक्षिण भारत के किसानों को प्रोत्साहित किया जाता था कि वे इन फसलों को उगाए । गरम मसाले आज भी निर्यात के जाने वाली प्रमुख वस्तु है । भारतीय किसान अपने लिए खाद्यान नहीं उगा सकते थे । बिहार के किसानों को नील की खेती करने के लिए मजबूर किया जाता था । 1917 में चम्पारन आंदोलन भी इसी लिए हुआ था ।
1990 के बाद वैश्वीकरण का युग आया और भारतीय किसानों के सामने नई चुनौतियाँ खड़ी हुई । जिसने आर्थिक परिवेश को ही बदल दिया चाय, कपास, चावल, कॉफी, जूट, और मसालें मुख्य उत्पादन ये परन्तु फिर भी भारतीय कृषि विश्व के विकसित दशों से स्पर्धा करने में असमर्थ है क्योंकि उन देशों में कृषि को अत्यधिक सहायिकी की जाती है । हरित क्रांति भारत आनुवंशिक या उत्पत्ति मूलक अभियांत्रिकी के माध्यम से संकर प्रजाति के बीजों का आविष्कार कर रहा है । जबकि राजनेताओं ने विश्व व्यापार संगठन के दबाव में आकर यहाँ की मूल फसलों और यहाँ तक कि जड़ी बूटियाँ का भी पेटेन्ट करवा दिया है ।
3. चावल की खेती के लिए उपयुक्त भौगोलिक परिस्थितियों का वर्णन करें ।
उत्तर- चावल की खेती के लिए उपयुक्त भौगोलिक परिस्थियों का वर्णन निम्नलिखित है ।
भारत में अधिकांश लोगों का खाद्यान्न चावल है । हमारा देश चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक देश है । यह एक खरीफ की फसल है जिसे उगाने के लिए उच्च तापमान की आवश्यकता होती है । कम वर्षा वाले क्षेत्रों में इसे सिंचाई करके उगाया जाता है । चावल उत्तर और उत्तर-पूर्वी मैदानों तटीय क्षेत्रों और डेल्टाई प्रदेशों में उगाया जाता है । नहरों के जाल और जलकूपों की सधनता के कारण पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ कम वर्षा वाले क्षेत्रों में चावल की फसल उगाना संभव हो पाया है ।
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