इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 8 हिंदी के पाठ इक्कीस ‘चिकित्सा का चक्कर’ (Chikitsa Ka Chakkar class 8 Hindi) के अर्थ को पढ़ेंगे। जिसके लेखक बेढ़ब बनारसी है।
21 चिकित्सा का चक्कर
प्रस्तुत पाठ ‘चिकित्सा का चक्कर’ बेढ़ब बनारसी के द्वारा लिखा गया है। यह एक व्यंग्य प्रधान कहानी है। लेखक ने विभिन्न चिकित्सा पद्धतियों पर कटाक्ष किया है। लेखक कहते है कि आज-कल के डॉक्टर किस तरह का व्यवहार कर रहें है। वह केवल पैसों की भूखे हैं।
लेखक पैंतीस वर्ष की आयु तक कभी बीमार नहीं पड़ा। वह बीमार पड़ना चाहता था, क्योंकि बीमार होने पर लोग पूछने आतें हैं तो आदर-मन बढ़ जाता है। एक बार लेखक को अजीर्ण हो गया। पेट में दर्द शुरू हो गया अमृतधारा कई बार पीने पर भी कुछ फायदा नहीं हुआ। प्रातः सुट-बूट पहने सरकारी़ अस्पताल के डॉक्टर आए। डॉक्टर ने दवा लिखी उन्होंने गर्म पानी के बोतल से पेट को सेंकने को कहा। और चले गए। शाम तक भी दर्द कम नहीं हुआ। देखने वालों का ताँता लग गया। जो आता वही एक नया इलाज बताता। तीन दिन तक दर्द कम नहीं हुआ। ऊपर से मेहमानों की खातिरदारी करनी पड़ी। आखिर डॉक्टर चूहानाथ कातरजी, एफ, आर, सी, एस बुलाए गए। दूसर दिन प्रातः काल पीड़ा दूर हो गई थी। दो सप्ताह तक उनकी दवा चलती रही। एक दिन अचानक सिर दर्द शुरू हो गया। डॉक्टर साहब के यहाँ आदमी दौड़ा तो मुलाकात नहीं हुई। मित्रों और घरवालों ने मिलकर निर्णय लिया। पड़ोस के कविराज पंडित सुखदेव शास्त्री बुलाए गए। वे पत्रा देखकर शुभ मुहूर्त निकालने के बाद पालकी पर आए। नब्ज देखकर बड़ी क्लिष्ट भाषा में उन्होंने रोग का कारण बताया। उन्होंने दवा लिखी और उनसे पिंड घूटा लेकिन दर्द पूरी तरह कम नहीं हुआ। Chikitsa Ka Chakkar class 8 Hindi
अब एक हकीम साहब को बुलाए गए हकीम साहब थे बनारसी पर वेशभूषा और नजाकत में कान काटते थे। लखनऊ के उन्होने नुस्खा लिखा। उनकी दवा खाने पर दर्द कम हो चला किंतु कभी-कभी बड़े जोरों से दर्द होने लगता था। दुर्बलता बढ़ चली थी। किसी ने होमियाँ पैथी का सेवन करने को कहाँ और दूसरे ने प्राकृतिक चिकित्सा की सलाह दी। एक दिन लेखक के ससुर साहब एक डॉक्टर को लेकर आए। इसी बीच लेखक की नानी की मौसी देखने आई उन्होंने चुडै़ल का फसाद बतलाया ओझा से कुछ लाभ हुआ पर पूरा फायदा नहीं हुआ तब लेखन ने लखनऊ जाने का फैसला किया तभी एक शुभचिंतक एक और डॉक्टर को ले आए डॉक्टर साहब ने देखा और बड़े जोर से हँसते हुए बोले कि आपको पाइरिया है। वही रोग की जड़ है। दाँत निकलवाने की सलाह दी गई सारे दाँत निकलवाने के नब्बे रूपए और नए दाँत बनवाने के डेढ सौ रूपए अलग से लगते थे लेखक ने श्रीमती जी से कहा श्रीमती जी बरस पड़ी-तुम्हारी बुद्धि घास चरने गई है ? खाना ठिकाने से खाओ पंद्रह दिनो में ठीक हो जाओगे लेखक अपनी श्रीमती जी को इतना ही कह सका कि जब तुम्हें अपनी दवा करनी थी तो इतने रूपए क्यों बरबाद कराए ?
Chikitsa Ka Chakkar class 8 Hindi
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