इस पोस्ट में झारखण्ड बोर्ड कक्षा 10 के सामाजिक विज्ञान इतिहास के पाठ तीन भूमंडलीकृत विश्व का बनना (Bhumandlikrit vishva ka banana notes) के Book Solutions पढ़ेंगे।
पाठ-3
भूमंडलीकृत विश्व का बनना
1 . सत्रहवीं सदी से पहले होने वाले आदान-प्रदान के दो उदाहरण दीजिए। एक उदाहरण एशिया से और एक उदाहरण अमेरिका महाद्वीपों के बारे में चुने।
उत्तर:- 17वीं सदी से पहलें होने वाले आदान-प्रदान के दो उदाहरण निम्नलिखित हैं।
(1) चीनः- चीन एशिया का एक महत्त्वपूर्ण देश है। विश्व के दूर देशों के साथ व्यापारिक और सांस्कृतिक संपर्का का सबसे जीवंत उदाहरण सिल्क मार्ग के रूप में देखने को मिलता है। ‘सिल्क मार्ग’ नाम से ही पता चलता है कि इस मार्ग से पश्चिम को भेजे जाने वाले चीनी रेशम का कितना महत्तव था। 15 वीं शताब्दी तक इसी मार्ग ने एशिया को उत्तरी अफ्रीका और यूरोप से जोड़ने का काम किया। इसी मार्ग से चीनी पॉटरी जाती थी और इसी मार्ग से भारत एवं दक्षिणी-पूर्वी एशिया के कपड़े एवं मसाले दुनिया के दूसरे भागों में पहुँचते थे। वापसी में चाँदी, सोना जैसी कीमती धातुएँ यूरोप से एशिया पहुँचती थी। भारत का बौद्ध धर्म सिल्क मार्ग की विविध शाखाओं से ही कई दिशाओं में फैल चुका था। इस प्रकार 17 वीं शताब्दी से पहले चीन का व्यापारिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान की प्रक्रिया साथ-साथ चलती थी।
(2) अमेरिका :– सोलहवीं शताब्दी में जब यूरोपीय लोगों ने समुद्री मार्गो की खोज की और उसी क्रम में अमेरिका पहुँच गए। पेरू और मैक्सिकों में मौजूद खानों से निकलने वाली कीमती धातुओं, खासतौर पर सोना और चाँदी यूरोपीय देशों के आकर्षण का मुख्य कारण बना। अमेरिका की धन-संपदा के बारे में तरह-तरह के किस्से बनने लगे थे। सोलहवीं सदी के मध्य तक की विजय का सिलसिला प्रारंभ हो चुका था। अमेरिका में उपनिवेश बनाने की शुरूआत हुई। व्यापारिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान प्रारंभ हुआ। स्पेनीश विजेताओं के पास अमेरिकी लोगो से लड़ने के लिए सैनिक तथा हथियार पर्याप्त नहीं थे। लेकिन अमेरिका जो वर्षो से अलग-थलग था, यूरोप से आने वाली बिमारी ‘चेचक’ का मुकाबला करने में असमर्थ था। चेचक एक महामारी के रूप में अमेरिकी समुदाय में फैल गया। यूरोप के लोग जहाँ नहीं भी पहुँचे वहाँ के लोग भी चेचक की चपेट में आने लगे। इसने पूरे समुदाय को खत्म कर दिया और इस तरह विदेशी शक्तियों की जीत का रास्ता आसान होता चला गया।
2 . बताएँ के पूर्व-आधुनिक विश्व में बीमारियों के वैश्विक प्रसार ने अमेरिकी भू भागों के उपनिवेशीकरण में किस प्रकार मदद दी।
उत्तरः- अमेरिका जो लोखो वर्षो से अलग-अलग रहा था। अतः उनके शरीर में यूरोप से आने वाली बीमारियों से बचने की रोग-प्रतिरोधी क्षमता नहीं थी। यूरोप के कुछ उपनिवेशवादी देश अपने साथ सेंक्रामक बीमारियों के कीटाणु लेकर आए थे।
16 वीं सदी के मध्य में स्पैनिश विजेताओं के सर्वाधिक प्रबल हथियारों में परमाणु युक्त किस्म का सैनिक हथियारों कोई में परमाणु युक्त किस्म का सैनिक हथियार कोई नहीं था। वह हथियार चेचक जैसे कीटाणु थे जो स्पेनिश सैनिकों तथा अधिकारीगणों के साथ वहाँ पहुँचे थे। अतः अमेरिका में उपनिवेश की स्थापना के समय स्पेन के सैनिकों का दमन चक्र चल रहा था। इसी समय महामारी की विनाश लीला ने नाया मोर्चा खोल दिया। अमेरिका के स्थानीय लोग यह मानते थे कि चेचक स्पेनिशों द्वारा चलाई गई अदृश्य गोलियाँ थी। इसके बाद बिना किसी चुनौती के दो बड़े साम्राज्यों को जीतकर अमेरिका में उपनिवेशों की स्थापना हुई।
Bhumandlikrit vishva ka banana
3 . निम्नलिखित के प्रभावों की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखें :
(क) कॉर्न लॉ के समाप्त करने के बारे में ब्रिटिश सरकार का फैसला।
उत्तर:- कॉर्न लॉ के समाप्त करने के बारे में ब्रिटिश सरकार का निम्नलिखित फैसला था।
18 वीं सदी के आखिरी दशकों में ब्रिटेन की आबादी तेजी से बढ़ने लगी थी। नतीजा, देश में भोजन की माँग भी बढ़ी। जैसे-जैसे शहर फैले और उद्योग बढ़ने लगे, कृषि उत्पादे।
की माँग भी बढ़ने लगी। कृषि उत्पाद मँहगे होने लगे दूसरी तरफ बडे़ भूस्वामि के दबाव में सरकार ने मक्का के आयात पर भी पाबंदी लगा दी थी जिन कानूनो के सहारे सरकार ने यह पाबंदी लागू की थी उन्हें कॉर्न लॉ कहा जाता था।
खाद्य पदार्थों की ऊँची कीमतों से परेशान उधोगपतियों और शहरी बाशिदों ने सरकार को मजबूर कर दिया कि वह कॉर्न लॉ को फौरन समाप्त कर दे।
कॉर्न लॉ के निरस्त हो जाने के बाद बहुत कम कीमत पर खाद्य पदार्थों का आयात किया जाने लगा। आयातित खाद्य पदार्थों की लागत ब्रिटेन में पैदा होने वाले खाद्य पदार्थों से भी कम थी
फलस्वरूप ब्रिटिश किसानों की हालत बिगड़ने लगी क्योंकि वे आयातित माल की कीमत का मुकाबला नहीं कर सकते थे। विशाल भूभागों पर खेती बंद हो गई हजारों लोग बेरोजगार हो गए गाँवो से उजड़कर वे या तो शहरों में या दूसरे देशों में जाने लगे।
(ख) अफ्रीका में रिंडरपोस्ट का आना :-
उत्तर:- अफ्रीका में 1890 के दशक में रिंडरपेस्ट नामक बीमारी बहुत तेजी से फैल गई।
मवेशियों में प्लेग की तरह फैलने वाली इस बीमारी से लोगों की आजीविका और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ा उस समय पूर्वी अफ्रीका में एरिट्रिया पर हमला कर रहे इतालवी सैनिको का पेट भरने के लिए रशियाई देशो से जानवर लाए जाते थे यह बीमारी ब्रिटिश अधिपत्य वाले एशियाई देशों से आए उन्हीं जानवरों के जरिए यहाँ पहुँची थी ।
अफ्रीका के पूर्वी हिस्से से महाद्वीव में दाखिल होने वाली यह बीमारी ‘जंगल की आग’ की तरह पश्चिमी अफ्रीका की तरह बढ़ने लगी 1892 में यह अफ्रीका के अटलांटिक तट तक जा पहुँची ।
पाँच साल बाद यह केप (अफ्रीका का धुर दक्षिणी हिस्सा) तक भी पहुँच गई।
रिडंरपेस्ट ने अपने रास्ते में आने वाले 90 प्रतिशत मवेशियों को मौत की नींद सुला दिया
पशुओं के खत्म हो जाने से तो अफ्रीकियों के रोजी-रोटी के साधन ही खत्म हो गए अपनी सत्ता को और मेजबूत करने तथा अफ्रीकियों को श्रम बाजार में ढ़केलने के लिए वहाँ के बागान मालिको, खान मालिकों और औपनिवेशिक सरकारों ने बचे-खुचे पशु संसाधनों पर कब्जे से यूरोपीय उपनिवेशकारो को पूरे अफ्रीका को जीतने व गुलाम बना लेने का बेहतरीन मौका हाथ लग गया था।
(घ) भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामंदी का प्रभाव
उत्तर- (1) वैश्विक अर्थव्यवस्था पुनर्जीवितः- आर्थिक मंदी के समय भारत कीमती धातुओं, विशेष रूप से सोने का निर्यात करने लगा। प्रसिद्ध अर्थशास्त्र कीन्स का मानना था कि भारतीय सोने के निर्यात से भी वैश्विक अर्थव्यस्था को पुनर्जीवित करने में सहायता मिली।
(2) व्यापार पर प्रभावः- इस समय तक भारत कृषि वस्तुओं का निर्यातक और तैयार मालों का आयातक बन चुका था। महामंदी ने भारतीय व्यापार को प्रभावित किया। 1928 से 1934 के बिच देश का आयात घटकर आधा हो गया था। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमतें गिरने लगीं। इसका प्रभाव भारत पर भी पड़ा और यहाँ भी कीमतों में गिरावट आ गई। 1928 से 1934 के बीच भारत में गेहूँ की कीमत 50 प्रतिशत गिर गई।
Bhumandlikrit vishva ka banana
(3) ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर प्रभावः- आर्थिक मंदी का किसानों पर बुरा प्रभाव पड़ा। कृषि उत्पादों की कीमतों में तेजी से गिरावट आई सरकार ने लगान वसूली में छूट देने से साफ इंकार कर दिया। 1931 में मंदी अपने चरम पर भी और ग्रामीण भारत असंतोष के दौर से गुजर रहा था। अतः जब महात्मा गाँधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन का आह्नान किया तब इन्होंने खुलकर सहयोग दिया।
5 . बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपने उत्पादन को एशियाई देशों में स्थानांतरित करने का फैसलाः-
उत्तर:-बहुराष्ट्रीय कंपनियों का विश्वव्यापी प्रसार मुख्य रूप से पचास और साठ के दशक की एक विशेषता थी। इसका मुख्य कारण यह था कि अधितर सरकारें बाहर से आने वाली चीजों पर भारी आयात शुल्क वसूल करती थीं। अतः बड़ी कंपनियों को अपने संयंत्र उन्हीं देशों में लगाना पड़ता था जहाँ वे अपने उत्पादन बचाना चाहते थे और उन्हें घरेलू उत्पादकों के रूप में काम करना पड़ता था। प्रारंभ में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की स्थापना 1920 के दशक में की गई थी। 70 के दशक के मध्य से अंतर्राष्ट्रीय वित्तय संस्थानों में भी काफी परिवर्तन आया। विकासशील देश कर्ज और विकास संबंधी सहायता के लिए अंतर्राष्ट्रीय संस्थानो से सहायता ले सकते थे।
70 के दशक के बीच में बेरोजगारी बढ़ने लगी। इस समय बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने एशिया के ऐसे देशों में उत्पादन केंद्रित किया जहाँ वेतन कम दिया जाता था। चीन में वेतन अन्य देशों की तुलना में कम था। विदेशी बहुर्राष्ट्रीय कंपनियों ने यहाँ खूब निवेश किया।
4 . खाद्य उपलब्धता पर तकनीक के प्रभाव को दर्शाने के लिए इतिहास से दो उदाहरण दें।
उत्तर:- खाद्य उपलब्धता पर तकनीक के प्रभाव को दर्शाने के लिए इतिहास से दो उदाहरण निम्नलिखित है।
(1) पानी के जहाजों में रफ्रिजरेशन की तकनीक स्थापित होने से खाने-पीन के सामानों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाने में आसानी हो गई। जल्दी खराब होने वाली चीजों को भी रेफ्रिजेटर्स और कनटेनर आदि द्वारा लंबी या़त्राओं पर ले जाया जाने लगा। जैसे-आलू, ब्रेड, अंडा, मक्खन, माँस आदि।
(2) तेज चलने वाली रेलगाड़ियाँ बनीं, बोगियों का भार कम किया गया एवं जलपोतों का आकार बढ़ाया गया। जिससे किसी भी उत्पाद को खेतों से दूर के बाजारों में कम लागत पर ज्यादा आसानी से पहुँचाया जा सका।
5 . ब्रेटन वुड्स समझौते का क्या अर्थ है?
उत्तर:-ब्रेटन वुड्स समझौते का निम्नलिखित अर्थ हैं।
दो विश्व युद्धों के बीच अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था को सुनिश्चित करने के लिए कुछ महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए गए। इसके द्वारा औद्योगिक विश्व में आर्थिक स्थिरता एवं पूर्ण रोजगार को बनाए रखा जाए। इस फ्रेमवर्क पर जुलाई 1944 में अमेरिका स्थित न्यू हैम्पशर के ब्रेटन वुड्स नामक स्थान पर संयुक्त राष्ट्र मौद्रिक एवं वित्तय सम्मेलन में सहमति बनी थी। सदस्य देशों के विदेश व्यापार में लाभ और घाटे से निपटने के लिए ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में ही अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई० एम . एफ) की स्थापना की गई। युद्धोत्तर पुनर्निर्माण के लिए पैसे का इंतजाम करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक यानी विश्व बैंक और आई० एम . एफ को ब्रेटन वुड्स संस्थान या ब्रेटन बुड्स ट्विन भी कहा जाता है।
इसी युद्धोत्तर अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था को ब्रेटन वुड्स व्यवस्था कहा गया है। ब्रेटन वुड्स व्यवस्था निश्चित विनिमय दरों पर आधारित होती थी।
Bhumandlikrit vishva ka banana
चर्चा करेंः-
प्रश्न-6 . कल्पना कीजिए कि आप कैरीबियाई क्षेत्र में काम करने वाले गिरमिटिया मजदूर हैं। इस अध्याय में दिए गए विवरणों के आधार पर अपने हालात और अपनी भावनाओं का वर्णन करते हुए अपने परिवार के नाम एक पत्र लिखें।
उत्तरः- मैं अरूण कुमार भारत से जाने वाला गिरमिटिया मज़दूर था। मुझे बीसवीं सदी की शुरूआत में डेमेरारा में सात सालों तक काम करना पड़ा था। मैंन अपने माता-पिता को वहाँ से पत्र लिखा था।
आदरणीय माता जी/पिताजी,
चरण स्पर्श,
मैं आशा करता हूँ कि आप सभी लोग कुशल-मंगल होंगे। मैं भी यहाँ ठीक हूँ लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद़ मैं उन कामों को ठीक से नहीं कर पाया जो मुझे सौपे गए थे। काम इतना अधिक है कि कुछ ही दिनों के भीतर मेरे हाथ सब जगह से छिल गए और मैं हफ्ते भर तक काम पर नहीं जा पाया जिसके लिए मुझे सजा दी गई और 20 दिन जेल में काटना पड़ा। तथा इतना कुछ होने के बाद भी वेतन पुरा नहीं मिलता है। मजदूरों को तरह-तरह की सजा दी जाती है। दरअसल मजदूरों को अपने अनुबंध की अवधि भारी मुश्किलों में बितानी पड़ती है।
अब मैं अपने देश वापस आना चाहता हूँ। फिलहाल मैं आपको हर महीन से कम रूपया भेज रहा हूँ क्योंकि मैं एक हफ्ते से बीमार था। मेरी तनख्वाह कट गई इसलिए कम पैसे मिले हैं।
प्रिय
आपका पुत्र
अरूण कुमार
प्रश्न-7 . अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमयों में तीन तरह की गतियों या प्रवाहों का व्याख्या करें। तीनों प्रकार की गतियों के भारत और भारतीयों से संबंधित एक-एक उदाहरण दें और उनके बारे में संक्षेप लिखें।
उत्तर:- अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमयों में तीन तरह की गतियों या प्रवाहों का व्याख्या निम्नलिखित है। तथा तीनों प्रकार की गतियों के भारत और भारतीयों से संबंधित एक-एक उदाहरण और उनके बारे में निम्नलिखित संक्षेप है।
(1) पहला प्रवाह व्यापार का होता है जो 19 वीं सदी में मुख्य रूप से कपड़ा, गेहूँ आदि के व्यापार तक ही सीमित था।
(2) दूसरा प्रवाह श्रम का प्रवाह होता है। इसमें लोग काम या रोजगार की तलाश में एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं।
(3) तीसरा प्रवाह पूँजी का होता है जिसे अल्प या दीर्घ अवधि के लिए दूर-दराज के इलाकों में निवेश कर दिया जाता है।
तीनों प्रकार की गतियों के भारत तथा भारतीयों संबंधि उदाहरण निम्नलिखित हैः-
Bhumandlikrit vishva ka banana
(1) वस्तुओं के व्यापार का प्रवाहः- भारत से गेहूँ
कपड़े (सूती, ऊनी, रेशमी ) इंग्लैड भेजे जाते थे।
प्रारंभ में भारतीय कपडो की माँग यूरोप के अन्य देशों में भी थी 1812 से 1871 के बीच कच्चे कपास का निर्यात 5 प्रतिशत से बढकर 35 प्रतिशत हो गया था। कपड़ो की रँगाई के लिए नील थी। व्यापार बड़े पेमाने पर निर्यात होता था। भारतीय निर्यात में कुछ समय तक अफीम ही सबसे ज्यादा रहा था। ब्रिटेन की सरकार भारत में अफीम की खेती करवाती थी और उसे चीन को निर्यात किया जाता था।
(2) श्रम का प्रवाह:- 19 वीं सदी में भारत के मजदूरों को बागानों, खदानों ,सडकों तथा रेलवे परियोजनाओं में काम करने के लिए दूर-दूर से लाया जाता था भारतीय अनुबंधित श्रमिकों अनुबंध के आधार पर बाहर ले जाया जाता था इन अनुबंधो में यह शर्त रखी जाती थी कि पाँच साल तक बागानो में काम कर लेने के बाद वे स्वदेश लौट सकते थे।
(3) पूँजी का प्रवाहः- भारतीय साहूकार और महाजन लोगा्रं में शिकारीपूरी श्रॉफ और नट्टूकोट्टई चोट्टियारों का नाम उल्लेखनीय है। ये उन बैंकरो और व्यारियो में से थे जो मध्य और दक्षिण पूर्ण एशिया में निर्यातो मुखी खेती के लिए कर्ज देते थे। इसके लिए या तो वे अपने पास से पैसा लगाते थे या यूरोपीय बैंको से कर्ज लेते थे इस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमयो में तीन तरह की गतियो या प्रवाह की प्रक्रिया चलती रही ।
प्रश्न 8 महामंदी के कारणो की व्याख्या करे
उत्तर:- महामंदी के कारणें की व्याख्या निम्नलिखित है।
आर्थिक महामंदी की शुरूआत 1929 से हुई और यह संकट तीस के दशक के मध्य तक बना रहा।
इस दौरान दुनिया के ज्यादातर हिस्सो के उत्पादन रोजगार आय और व्यापार में भयानक गिरावट दर्ज की गई। इस मंदी का समय और असर सब देशों मे एक जैसा नही था। लेकिन अमतौर पर ऐसा माना जा सकता है कि कृषि क्षेत्रो और समुदायों पर इसका सबसे बुरा असर पड़ा ऐसा इसलिए हुआ था क्योंकि औद्योगिक उत्पादों की तुलना में खेतिहर उत्पादो की कीमतो में ज्यादा भारी और ज्यादा समय तक कमी बनी रही।
Bhumandlikrit vishva ka banana
इस महामंदी के कई कारण थे।
(1)पहला कारण यह था कि कृषि क्षेत्रो में अति उत्पादन की समस्या बनी हुई थी कृषि उत्पादों की गिरती कीमतों के कारण स्थिति और खराब हो गई थी
कीमते गिरी और किसानो की आय घटने लगी तो आमदनी बढ़ाने के लिए किसान उत्पादन बढाने का प्रयास करने लगे ताकि कम कीमत पर ही सही लेकिन ज्यादा माल पैदा करके वे अपना आय स्तर बनाए रख सके फलस्वरूप, बाजार में कृषि उत्पादों की आमद और भी बढ गई जाहिर है कीमतें और नीचे चली गई खरीदारो के अभाव में कृषि उपज पडी -पडी सड़ने लगी ।
(2) दूसरा कारण – 1920 के दशक के मध्य में
बहुत सारे देशो ने अमेरिका से कर्जे लेकर अपनी निवेश संबंधी जरूरतों को पूरा किया था जब हालात अच्छे थे तो अमेरिका से कर्जा जुटाना बहुत आसान था लेकिन संकट का संकेत मिलते ही अमेरिकी उद्यमियों के होश उड़ गए 1928 के पहले छह माह तक विदेशो में अमेरिका का कर्जा एक अरब डॉलर था साल भर के भीतर यह कर्जा घटकर केवल चौथाई रह गया था जो देश अमेरिकी कर्जे पर सबसे ज्यादा निर्भर थे उनके सामने शहर संकट आ खड़ा हुआ।
प्रश्न 9. जी –77 देशों से आप क्या समझते हैं। जी –77 को किस आधार पर ब्रेटन वुइस की जुडवाँ संतानो की प्रतिक्रिया कहा जा सकता है। व्याख्या करे।
उत्तर:- जी-77 विकासशील देशों को पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं की तेज प्रगति से कोई लाभ नही हो रहा था। इस समस्या को देखते हुए विकासशील देशों में एक नयी अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली के लिए आवाज उठाई और समुह-77 (जी-77) के रूप में संगठित हो गए ।
जी-77 का गठन ब्रेटन वुइस की जुडवाँ संतानो की प्रतिक्रिया थी। विकासशील देश विकसित औद्योगिक देशों के बराबर पहुँचने की जी तोड़ कोशिश करने लगे थे। अतः एन . आई० इ . ओ एक ऐसी व्यवस्था थी जिसमें विकासशील देश अपने संसाधनो पर सही नियंत्रण रख सके जिसके अनुसार उन्हें विकास के लिए अधिक सहायता मिले कच्चे मालो का उचि दाम मिले और अपने तैयार मालों को विकसित देशों के बाजारो में बेचने के लिए बेहतर स्थान मिले ।
Bhumandlikrit vishva ka banana
Read class 10th Social science – Click here
Watch video – Click here
Leave a Reply