इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 9 हिंदी के पाठ छ: ‘अष्टावक्र’ (Ashtavakra Kahani class 9 Hindi) के सारांश और व्याख्या को पढ़ेंगे।
पाठ -6
अष्टावक्र
लेखक- विष्णु प्रभाकर
जन्म :- 21 जून सन 1912 ई. को उत्तर प्रदेश के मुज़्ज़फ़रनगर जिला के मीरनपुर गांव में हुआ था।
शिक्षा :-इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव की पाठशाला में हुई। यह शिक्षा प्राप्त करने के लिए हिसार (हरियाणा) गए। जहाँ ये हाई स्कूल में शिक्षा प्राप्त की।
प्रमुख रचनाएँ :- ‘ढ़लती रात’, ‘स्वाजयी’, (उपन्यास) ‘संघर्ष के बाद’,(कहानी संग्रह) ‘नवप्रभात’, ‘डॉक्टर (नाटक) ‘प्रकाश और परछाईयाँ’, ‘बारह एकांकी’, ‘अशोक’ (एकांकी संग्रह) ‘जाने अनजाने’, (संस्मरण और रेखाचित्र) ‘आवारा मसीहा’,(शरतचंद्र का जीवनी) ‘आवारा मसीहा’ इनकी सर्वाधिक प्रसिद्ध कृति रही।
पाठ -6
अष्टावक्र
प्रस्तुत पाठ अष्टावक्र एक रेखाचित्र है। इस रेखाचित्र को एक जाने-माने लेखक विष्णु प्रभाकर के द्वारा लिखा गया है। इस रेखाचित्र के प्रमुख पात्र अष्टावक्र है।इस रेखा चित्र में लेखक अष्टावक्र के जीवन,दशा के बारे में बताते हैं।लेखक ने अष्टावक्र के जीवन दशा के माध्यम से समाज की कमजोरियों को उजागर करने का प्रयास किया है।
इस रेखा चित्र के प्रधान पात्र का नाम अष्टावक्र है। उसका नाम अष्टावक्र इसलिए है कि वह सामान्य व्यक्ति से अलग एक विचित्र प्राणी है। उसके पैर किसी कवि की नायिका की तरह बल खाते थे और शरीर हिंडोला की तरह झूलता था। बोलने में वह साधारण आदमी के अनुपात से तीन गुना समय लेता है। वर्ण श्याम,नयन निरीह, शरीर एक शाश्वत खाद से पूर्व मुख लंबा और वक्र वस्त्र कीट से भरे यह था। उसका व्यक्तित्व। उसकी केवल माँ ही थी। बाप बचपन में ही चल बसे थे। आज इन बातों को तीस वर्ष बीत गए हैं। तबसे अकेली माँ ही उसका लालन- पोषण करती आई है। अष्टावक्र बुद्धि का मंद और मूर्ख था। परंतु मां का स्नेह तीव्र था भोलापन मूर्खता की सीमा पार कर गया था। वह अपना पेट भरने के लिए खोमचा लगता था। अक्सर कचालू की चार्ट, मूंग दाल की पकौड़ीयाँ, दही के आलू और चीनी के बताशे इन सब को एक काले लोहे के थाल में सजाकर बेचा करता था। रोज डेढ़ रुपए के सामान को दस – बारह आने में बेच आता था। फिर भी माँ का स्नेह बहुत था। सोने के लिए जगत के पास जा लेटती। एक समय अष्टावक्र को बुखार चढ़ा आया। कुछ दिन बाद माँ को भी ज्वर चढ़ आया। पैसे के लिए खोचमा लगाना आवश्यक था। माँ ने कहा बेसन उठा ला, वह बेसन उठा लाया, माँ ने लेटे-लेटे उसे पानी में घोला। उस में आलू डाले इतने में वह बुरी तरह हाप उठी। धुएँ ने तन – मन को और भी कड़वा कर दिया। अष्टावक्र ने ऊँचे से मुट्ठी भर आलू बेसन कराई में छोड़े तो तेल सीधा छाती पर आ गया।
तब हाय माँ कह कर वह वहीं लुढ़क गया। तीन दिनों तक दोनों की शरीर में शक्ति नहीं रहने के कारण कुछ हुआ तक नहीं। अष्टावक्र की मां मर गई। अष्टावक्र माँ – माँ करते कुछ हुआ तक नहीं। छटपटा रहा था वह अकेला था। आइसोलेशन वार्ड में डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। कुल्फी वाला जो अष्टावक्र के बगल में रहता उसने ईश्वर को धन्यवाद इसलिए दिया कि अष्टावक्र को अपने पास बुलाकर उन दोनों को सुख की नींद सोने का अवसर दिया।
Ashtavakra Kahani class 9 Hindi
Read class 9th Hindi – Click here
Watch video – Click here
Leave a Reply