इस पोस्ट में हमलोग बिहार बोर्ड कक्षा 9 हिंदी पद्य भाग के पाठ छ: ‘आ रही रवि की सवारी’ (Aa Rahi Ravi ki Sawari class 9 Hindi) के अर्थ को पढ़ेंगे।
आ रही रवि की सवारी
पाठ – 6
लेखक परिचय
हरिवंशराय बच्चन
जन्म :- हरिवंशराय बच्चन का जन्म उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद ( प्रयागराज )शहर में 27 नवंबर 1907 ई. को हुआ था।
निधन :- 2001 ई. में मुंबई में इनका निधन हुआ।
प्रमुख कृतिया :- ‘मधुशाला’, ‘मधुबाला’, ‘निशा- निमंत्रण’, ‘एकांत संगीत’, ‘मिलन-यामिनी’, ‘आरती और अंगारे’, ‘टूटते चट्टानें’, ‘रूप तरंगिणी’ (सभी कविता संग्रह) आदि।
आत्मकथा :- ‘क्या भूलूं क्या याद करूं’, ‘नीड़ का निर्माण फिर’, ‘बसेरे से दूर’ तथा दसद्वार से सोपन तक आदि।
पुरस्कार :- साहित्य अकादमी पुरस्कार, सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार और सरस्वती सम्मान से सम्मानित हुए। बच्चन जी।
विशेष :- प्रस्तुत कविता ‘आ रही रवि की सवारी ’ बच्चन जी के कविता संकलन ‘निशा-निमंत्रण’ से ली गई है।
पाठ –18
आ रही रवि की सवारी
श्लोक -1
नव- किरण का रथ सजा है,
कलि-कुसुम से पथ सजा है,
बादलों से अनुचरों ने स्वर्ण की पोशाक धारी ।
आ रही रवि की सवारी !
भावार्थ :-
प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि हरिवंश राय बच्चन के द्वारा लिखित कविता आ रही “रवि की सवारी” शीर्षक पाठ से लिया गया है। प्रस्तुत कविता बच्चन जी के कविता संकलन “निशा-निमंत्रण” से ली गई है।
किरण रूपी रथ पर सवार सूर्य कवि को एक राजा के रथ के समान प्रतीत होता है। उसे लगता है कि घोड़े से सुसज्जित राजा का रथ हो और स्वर्ण की पोशाक पहने राजा उस पर सवार हो तथा उनके मार्ग को फूलों से सजा सजा दिया जाए,ठीक वैसे ही सूर्योदय के समय उदित हो रहे हैं। सूर्य की किरणें रथ के घोड़े के समान लगती है, फूलों के खिलने का वातावरण मोहक बन जाता है। जल्द से पूर्ण बादल का रंग सुनहरा हो जाता है। सुबह के समय का ऐसा दृश्य देखकर कवी को लगता है, जैसे सूर्य की सवारी आ रही है।
पाठ –18
श्लोक –2
विहग बंदी और चारण,
गा रहे हैं कीर्ति – गायन,
छोड़कर मैदान भागी तारकों की फौज सारी !
आ रही रवि की सवारी !
भावार्थ :-
प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि हरिवंश राय बच्चन के द्वारा लिखित कविता आ रही “रवि की सवारी” शीर्षक पाठ से लिया गया है। प्रस्तुत कविता बच्चन जी के कविता संकलन “निशा-निमंत्रण” से ली गई है।
इस पंक्तियों के माध्यम से कवि कहते हैं, कि सुबह होते ही पक्षी जो अपने कलर व से वातावरण से गुंजायमान बना देते हैं। बंदी तथा चारण प्रभु (राजा) की स्तुति करने लगते हैं तो प्रकाश के फैलते ही तारे समूह ओझल हो जाते हैं। कवि के कहने का तात्पर्य है, कि सुबह होते ही प्राकृतिक में परिवर्तन हो जाता है, प्रकृति के कण-कण में एक नया उत्साह, नया जोश तथा नई जागृति आ जाती है, सभी अपने अपने नियत कर्म में लग जाते हैं। कवि रवि की सवारी की तुलना राजा की सवारी से करते हुए कहना चाहते हैं कि जिस प्रकार राजा के यशोगान प्रजा करती है : उसी प्रकार सूर्योदय के स्वागत में प्राकृतिक अपने सौंदर्य सुषमा बिखेर देती है। Aa Rahi Ravi ki Sawari class 9 Hindi
पाठ –18
श्लोक -3
चाहता, उछलूँ विजय कह,
पर ठिठकता देखकर यह
रात का राजा खड़ा है राह में बनकर भिखारी !
आ रही रवि की सवारी !
भवार्थ :-
प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि हरिवंश राय बच्चन के द्वारा लिखित कविता आ रही “रवि की सवारी” शीर्षक पाठ से लिया गया है। प्रस्तुत कविता बच्चन जी के कविता संकलन “निशा-निमंत्रण” से ली गई है।
इस पंक्तियों के माध्यम से कवि कहते हैं, कि सूर्योदय कालीन प्राकृतिक सौंदर्य देख अपना हार्दिक प्रसन्नता प्रकट करना चाहता है। लेकिन रात भर अपनी चाँदनी से शीतलता प्रदान करने वाले निस्तेज चाँद को देख कर ठिठक जाता है, क्योंकि रात का राजा चाँद असहाय भिखारी के समान प्रतीत होता है। कवि को ऐसा परिवर्तन यह सोचने में विवश कर देता है, कि उत्थान- पठान अथवा जीवन-मरण प्रकृति का नियम है। इसलिए व्यक्ति को अपने उत्थान या ऐश्वर्या पर न तो इठलाना चाहिए और ना ही पतन पर व्यतीत होना चाहिए ।
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